मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं जीतने की कोशिश में सभी पार्टियां कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। बात सत्ता पर आसीन बीजेपी की जाए तो उसे अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस के साथ अपने बागियों की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है।
बीजेपी के लिए मुश्किल
टिकट ना मिलने से नाराज नेता करीब दर्जन भर सीटों पर पार्टी के समीकरण पर असर डाल सकते हैं,इनमें से कुछ ने तो दूसरी पार्टियों का हाथ थाम लिया है, जो खड़े हुए प्रत्याशियों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहें है।
पार्टी ने उतारे सांसद और मंत्री
बीजेपी ने अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए तीन केंद्रीय मंत्री और सात सांसदों को सियासी रण में उतारा है ताकि जीत को सुनिश्चित किया जा सके हालांकि पार्टी कई सीटों पर अपने ही बागियों का सामना कर रही है।
बागियों को मनाने की कोशिश
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश के सभी संभागों का दौरा किया कार्यकर्ताओं का जीत का मंत्र भी दिया। इस दौरान उन्होंने नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की भी बात कही और बागियों की ज्यादा परवाह न करने को भी कह दिया।
बागियों ने थामा दूसरी पार्टियों का दामन
बीजेपी के प्रदेश और केंद्र के नेताओं ने बागी नेताओं को समझाने की मशक्कत और कोशिश कर ली है लेकिन कुछ नेताओं ने निर्दलीय और कुछ ने दूसरी पार्टियों का हाथ थाम लिया है।
चुनाव लड़ने का फैसला भी दूसरी पार्टियों से कर रहे हैं,ऐसे में अब बीजेपी इन सीटों को लेकर सतर्क हो रही है बात बुरहानपुर सीट की करें तो बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह बगावत कर चुनावी मैदान में है तो वहीं निवाड़ी सीट पर टिकट ना मिलने से नंदराम कुशवाहा निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार है,इससे पार्टी प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ रही है। जबलपुर उत्तर मध्य में कमलेश अग्रवाल बगावत पर उतरकर चुनाव लड़ रहे हैं।
तो वहीं मुरैना सीट पर पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राजेश सिंह बीजेपी से टिकट ना मिलने से मायावती की पार्टी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
रुस्तम सिंह ने भी बेटे के लिए बीएसपी का दामन थाम लिया है और वहीं लहर सीट पर पिछली बार चुनाव लड़े रसाल सिंह इस बार बीएसपी से चुनाव लड़ने को तैयार है। बड़वारा सीट की बात की जाए तो पूर्व मंत्री कश्यप और सीधी सीट पर पेशाब कांड में चर्चित हुए केदारनाथ शुक्ला टिकट ना मिलने से बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं। भिंड सीट पर बीजेपी से नरेंद्र सिंह कुशवाहा को टिकट दिया गया है, यहां पर मौजूदा विधायक संजीव सिंह बीएसपी से चुनाव लड़ने को तैयार है।
बागि नेताओं में ऐसे नाम है जो अपने-अपने क्षेत्र में रसूख भी रखते हैं हालांकि उन्हें जब सत्ता मिली तो उन्होंने पार्टी को नाराज किया और पार्टी ने इसी का सीला उन्हें दे दिया टिकट नहीं दिया तो वे बगावत पर उतर आए।