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जानिए, क्यों मनाया जाता है अहोई अष्टमी

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देश रोज़ाना: दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे कर्जदार रिश्ता माँ का माना जाता है। क्योंकि माँ अपने बच्चों को जन्म देने से लेकर बड़ा करने और अपने पैरों पर खड़ा करने तक उनके साथ रहती है। उनके दुःख- सुख की साथी होती है। और हर वर्ष अहोई अष्टमी के दिन सभी माताएं अपने बच्चों के लिए व्रत रखती है। अपनी लम्बी उम्र के लिए।

शास्त्रों में बताया गया है कि व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करें। जिन स्त्रियों की संतान को शारीरिक कष्ट हो, स्वास्थ्य ठीक न रहता हो या बार-बार बीमार पड़ते हों अथवा किसी भी कारण से माता-पिता को अपनी संतान की ओर से चिंता बनी रहती हो, तो माता द्वारा कल्याणकारी अहोई की पूजा-अर्चना व व्रत करने से संतान को विशेष लाभ मिलता है,बच्चे कभी कष्ट में नहीं पड़ते।

अहोई अष्टमी के दिन कुछ चीज़ों का विशेष ध्यान रखा जाता है। जो भी स्त्री अहोई अष्टमी का व्रत रखती है। उन स्त्रियों को काले या नीले रंग के वस्त्र बिल्कुल नही पहनने चाहिए। इस प्रकार के वस्त्र पूजा में अशुभ माने गए हैं। मिट्टी से जुड़ा कोई काम न करें। इसके साथ बगीचे में भी किसी भी प्रकार की खुदाई,गुड़ाई का कार्य बिलकुल न करें ।
व्रत के दिन किसी भी प्रकार की नुकीली चीज को हाथ न लगाएं। इस दिन न ही सिलाई का काम आदि करें और न ही चाकू से कोई काम करें।

यह व्रत बड़ा ही पवित्र माना जाता है। इस व्रत से माताएं अहोई माता से सभी मान अपने बच्चों के लिए लम्बी आयु के लिए मन्नत मांगती है। इस व्रत को सभी स्त्रियां अपने बच्चों के रखती है।

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