Sony एक ऐसी तकनीक का परीक्षण कर रही है जो कैमरे के अंदर ही images की प्रामाणिकता की पुष्टि कर सकती है। यह तकनीक एआई-जनरेटेड images के प्रसार को रोकने में मदद कर सकती है, जो कि फेक न्यूज और दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
नई तकनीक ब्लॉकचेन और सेंसर डेटा का उपयोग करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई image डिजिटल रूप से मैनीपुलेट नहीं की गई है। यह तकनीक अभी भी विकास के अधीन है, लेकिन यह एआई-जनरेटेड images के प्रसार को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
एआई-जनरेटेड इमेजेस की समस्या
एआई-जनरेटेड images का उपयोग फेक न्यूज और दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एआई-जनरेटेड images का उपयोग किसी व्यक्ति को खराब रोशनी में या किसी अपरिचित स्थान पर होने के लिए बनाया जा सकता है।
इस प्रकार की images का उपयोग किसी व्यक्ति को बदनाम करने या किसी अपराध के लिए उन्हें फंसाने के लिए किया जा सकता है।
Sony की नई तकनीक कैसे काम करती है
Sony की नई तकनीक ब्लॉकचेन और सेंसर डेटा का उपयोग करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई image डिजिटल रूप से मैनीपुलेट नहीं की गई है। जब कोई image ली जाती है, तो ब्लॉकचेन पर एक अद्वितीय हैश संग्रहीत होता है।
इस हैश का उपयोग image की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के लिए किया जा सकता है, भले ही image को बाद में संपादित किया गया हो।
Sony की नई तकनीक का भविष्य
Sony की नई तकनीक अभी भी विकास के अधीन है, लेकिन यह एआई-जनरेटेड images के प्रसार को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यदि यह तकनीक सफल होती है, तो इसका उपयोग अन्य प्रकार के डिजिटल मीडिया, जैसे वीडियो और ऑडियो, की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के लिए भी किया जा सकता है।