दुबई में चल रहे कॉप28 जलवायु शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में कॉप33 की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखा है।
उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और वह अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है और वह 2030 तक अपनी ऊर्जा क्षमता का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भी कई कदम उठा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में कॉप33 की मेजबानी एक ऐतिहासिक अवसर होगा और यह जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करेगा। उन्होंने कहा कि भारत इस सम्मेलन के माध्यम से वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन की समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास करेगा।
पीएम मोदी के प्रस्ताव का भारत और दुनिया भर में स्वागत किया गया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में कॉप33 की मेजबानी वैश्विक जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
भारत की जलवायु परिवर्तन नीतियां
भारत जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए कई नीतियां लागू कर रहा है। इन नीतियों में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना और वनों की कटाई को कम करना शामिल है।
भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय भूमिका निभाई है। भारत पेरिस समझौते का एक हस्ताक्षरकर्ता है और वह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रहा है।
कॉप28 जलवायु शिखर सम्मेलन
कॉप28 जलवायु शिखर सम्मेलन नवंबर 30 से दिसंबर 3 तक दुबई में चल रहा है। इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से निपटने के लिए वैश्विक नेताओं, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया है।
कॉप28 सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है। सम्मेलन में वैश्विक नेताओं से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया जाएगा।
कॉप28 सम्मेलन एक महत्वपूर्ण अवसर है जो वैश्विक समुदाय को जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में एकजुट होने का मौका देगा। सम्मेलन के सफल होने पर यह वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक मजबूत नींव रख सकेगा।