आबकारी (शराब) घोटाले में अपने एक के बाद एक बड़े नेता की गिरफ्तारी के बाद पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से डरी आप को विधानसभा चुनावों ने जोरदार झटका दिया। पंजाब विधानसभा चुनाव जीतकर और गुजरात में अपने विधायक जिताने के बाद अखिल भारतीय दल का दर्जा पाने वाली आप के लिए अचानक वजूद बचाने का संकट हो गया है।
तीन दिसंबर को जिन राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव नतीजे घोषित हुए, उनमें से हिंदी भाषी तीनों राज्यों-मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आप पूरी ताकत से चुनाव लड़ी। तमाम पूवार्नुमानों को झुठलाते हुए भाजपा न केवल भारी बहुमत से मध्य प्रदेश का चुनाव जीती, बल्कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी जीत कर एक तरह से नया इतिहास रच दिया। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। आप को इन राज्यों में कोई सीट मिलनी तो दूर, एक फीसद से भी कम वोट मिले। जाहिर है कि इससे कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में उसकी दावेदारी कम हो जाएगी।
प्रचंड बहुमत से दिल्ली में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने वाली आप वैसे भी दिल्ली में लोक सभा चुनाव में दूसरे-तीसरे नंबर पर रहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों पर कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने की कोशिश थी, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने सिरे चढ़ने नहीं दिया। उनका अनुमान सही निकला कि लोकसभा चुनाव में आप से ज्यादा कांग्रेस का अब भी दिल्ली में समर्थन है। तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में आप को मिले वोट लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस के मुकाबले उसकी दावेदारी कम कर देगा।
साल 2011 के दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अण्णा हजारे के आंदोलन में शामिल अनेक नेताओं ने 26 अक्टूबर,2012 को आम आदमी पार्टी (आप) के नाम से राजनीतिक दल बनाकर 2013 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ना तय किया। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया। पहले ही चुनाव में ही बिजली-पानी फ्री का मुद्दा कारगर हुआ। आप को 70 सदस्यों वाले विधानसभा में करीब 30 फीसद वोट और 28 सीटें मिलीं।
भाजपा ने करीब 34 फीसद वोट के साथ 32 सीटें जीती और दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस को 24.50 फीसद वोट के साथ महज आठ सीटें मिलीं। भाजपा के मना करने पर आप ने कांग्रेस से बिना मांगे समर्थन से सरकार बनाई और नियम का पालन किए बिना लोकपाल विधेयक विधानसभा में पेश करने से रोके जाने के खिलाफ 49 दिन पुरानी सरकार ने इस्तीफा दिया। दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा।
कांग्रेस की कमजोरी और भाजपा की अधूरी तैयारी के चलते और बिजली-पानी फ्री करने के वायदे ने आप को 2015 के चुनाव में दिल्ली विधानसभा में रिकार्ड 54 फीसदी वोट के साथ 67 सीटों पर जीत दिलवा दी। उस चुनाव के बाद पार्टी में अरविंद केजरीवाल का सियासी कद और बढ़ गया। दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने दिल्ली से बाहर पार्टी को न ले जाने का घोषणा कर दी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि पार्टी को वोट उनके नाम से मिलते हैं।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में फिर उन्होंने रिकार्ड 54 फीसद वोट के साथ 62 सीटें जीती। पंजाब विधानसभा के 2022 के चुनाव में आप ने शानदार जीत दर्ज की। गुजरात और गोवा में चुनाव लड़कर आप अखिल भारतीय पार्टी बन गई। दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के चलते हुए आर्थिक घोटाले की उप राज्यपाल द्वारा 22 जुलाई,2022 को सीबीआई जांच के आदेश दिए। उसके आधार पर सीबीआई ने जांच शुरू की और छापेमारी की। आप में नंबर दो माने जाने वाले मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने आप पर संकट बढ़ा दिया।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
-मनोज कुमार मिश्र