Jammu and Kashmir: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर अपना निर्णय दिया है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ की तरफ से इस मामले में तीन अलग-अलग फैसले लिए गए। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसले को पढ़ते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का सरकार का फैसला बरकरार रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे हटाने का पूरा अधिकार है। भारत में विलय के समय जम्मू-कश्मीर ने अपनी संप्रभुता खो दी थी और अब वह भारत का अभिन्न अंग है।
Jammu and Kashmir: फैसले पर सभी न्यायधीश एक
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने तीन अलग-अलग फैसले दिए। लेकिन जम्मू-कश्मीर में 370 रद्द करने के मामले में सभी जज एक निष्कर्ष पर सहमत थे।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं के उन तर्कों को भी खारिज कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छिनने और उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने का विरोध किया गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में जम्मू-कश्मीर के आगे का रोडमैप भी बताया।
क्या बोला सर्वोच्च न्यायालय
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द बहाल होना चाहिए। यहां चुनाव के लिए भी जल्द से जल्द कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने चुनाव आयोग को निर्देश देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर 2024 से पहले विधानसभा चुनाव सुनिश्चित कराए जाएं।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव पर आयोग की राय
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा करते हुए जम्मू-कश्मीर में भी जल्द चुनाव कराने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि इसका फैसला सुरक्षा की स्थितियों और अन्य कारकों को ध्यान में रखकर सही समय पर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि जब भी आयोग को समय सही लगेगा, जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराए जाएंगे। अगले साल की शुरुआत में लोकसभा के चुनाव होने की पूरी संभावना है। ऐसे में साफ है कि जम्मू कश्मीर के लोगों को विधानसभा के चुनावों के लिए अभी और इंतजार करना होगा।
जम्मू-कश्मीर में कब से नहीं हुए चुनाव
जम्मू-कश्मीर राज्य को पांच अगस्त 2019 को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था। यहां से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से चुनाव नहीं हुए हैं। प्रदेश में आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। यह सरकार जून 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद गिर गई थी। इसके बाद यहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।