देश रोज़ाना: कहा जाता है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। पूरी दुनिया में कुल पानी का तीन या चार प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। पीने योग्य पानी लगातार कम होता जा रहा है। इतना ही नहीं, भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन की वजह देश के कई हिस्सों में भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे चला गया है। लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं। हरियाणा में भी हालात काफी खराब हो गए हैं। खास तौर पर दक्षिण हरियाणा में भूगर्भ जल स्तर की हालत काफी दयनीय है। अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पानीपत और जींद जिलों में लोगों ने जमीनी पानी का इतना ज्यादा दोहन किया है कि वे डार्क जोन में आ गए हैं।
प्रदेश के कुल 141 ब्लॉकों में से 85 ब्लॉक डार्क जोन में शामिल हो चुके हैं। सरकार ने लोगों को जमीनी पानी का दोहन कम करने और ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। यदि लोगों ने सरकार की बात पर ध्यान दिया होता, तो शायद इतनी बदतर स्थिति नहीं होती। प्रदेश सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना की शुरुआत की, लेकिन लोगों ने इस पर भी बहुत कम ही ध्यान दिया। इन विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने अब दूसरा उपाय अपनाने का फैसला किया है।
प्रदेश सरकार भूगर्भ जल स्तर सुधारने, बरसाती पानी को जमा करने और किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने को 133 तालाबों का निर्माण करने जा रही है। इन तालाबों के निर्माण के बाद कुछ इलाकों में भूगर्भ जल स्तर निश्चित रूप से बढ़ने की संभावना है। सिंचाई विभाग ने इसके लिए एक हजार एकड़ भूमि को भी चिह्नित कर लिया है। सरकार इस योजना को एक साथ लागू करने की जगह पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चरखी दादरी और झज्जर में पांच तालाब बनाए गए हैं। स्वाभाविक है कि इन तालाबों की वजह से न केवल भूगर्भ जल स्तर बढ़ेगा, बल्कि आसपास के किसानों को साल भर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा।
प्रदेश में बनने वाले 133 तालाबों के निर्माण के समय इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि इन तालाबों का निर्माण उन क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा किया जाएगा, जहां का जलस्तर गिर रहा है या फिर जिस इलाके के किसान नहरी पानी का उपयोग सिंचाई के लिए करते हैं। इन दिनों 25 तालाबों का निर्माण चल रहा है। सिंचाई विभाग ने इसके लिए 388 करोड़ रुपये का बजट रखा है। ये सभी तालाब जून तक बनाए जाने हैं, इस वजह से बहुत तेजी से इस परियोजना पर काम चल रहा है। इनमें से 55 तालाब पंचायती और 17 तालाब निजी भूमि पर बनेंगे। सरकार को नए तालाबों के साथ-साथ पुराने तालाबों का पुनरुद्धार करना चाहिए।
- संजय मग्गू