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Editorial: हर औरत हीरकनी जैसी बहादुर हो

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देश रोज़ाना: छत्रपति शिवाजीराजे भोसले एक न्यायप्रिय राजा थे। उन्होंने 1674 में महाराष्ट्र में मराठा राज्य की नींव रखी थी। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किए तथा छापामार युध गोरिल्ला युद्धनीति की नई शैली (शिवसूत्र) विकसित की। गोरिल्ला युद्धनीति/छापामार युद्धनीति के जनक मराठा ही थे। वर्ष 1674 को जिस रायगढ़ किले में उनका राज्याभिषेक हुआ था, उसी गढ़ में उनको छत्रपति की उपाधि दी गई थी। रायगढ़ किले को शिवाजी बहुत महत्व देते थे। उस समय उनका औरंगजेब से संघर्ष चल रहा था। मराठा साम्राज्य को चारों ओर से दुश्मनों ने घेर रखा था। यही वजह थी कि वह रायगढ़ किले को मजबूत बनाने में लगे रहते थे।

उन दिनों रायगढ़ किले का दरवाजा सुबह खुलता था और शाम को बंद हो जाता था। फिर आवागमन बंद हो जाता था। एक हीरकनी नाम महिला रोज रायगढ़ किले की सैनिक छावनी के लिए दूध लाया करती थी। वह दूध बेचकर शाम को निकल जाया करती थी। एक दिन की बात है। दूध बेचते हुए उसे देर हो गई। जब वह रायगढ़ किले के दरवाजे पर पहुंची तो वह बंद हो चुका था। हीरकनी ने पहरेदारों से बहुत विनती की। उसने उन्हें बताया कि उसका एक छोटा सा बच्चा है। वह मेरे बिना नहीं रह सकता है।

वह दूध पीने के लिए रो रहा होगा। मुझे जाने दो। पहरेदार नहीं माने, तो वह किले की दीवार दो-तीन प्रयास के बाद फांदने में सफल हो गई। अगले दिन उसे पकड़कर छत्रपति के सामने पेश किया गया। शिवाजी ने पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया। इस क्या सजा दी जाए। वह सिर झुकाए खड़ी रही। इस पर शिवाजी ने कहा कि हर औरत और मां को हीरकनी की तरह बहादुर होना चाहिए। मैं किले की एक मीनार का नाम हीरकनी रखना चाहता हूं। इसके बाद हीरकनी को मुक्त कर दिया गया।

अशोक मिश्र

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