Friday, November 8, 2024
31.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiकुश्ती संघ को निलंबित करने के पीछे मकसद क्या है?

कुश्ती संघ को निलंबित करने के पीछे मकसद क्या है?

Google News
Google News

- Advertisement -

खेल मंत्रालय ने 24 दिसंबर को भारतीय कुश्ती संघ को नहीं, बल्कि बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह को धोबी पछाड़ दांव से पटखनी दी है। ‘दबदबा है दबदबा रहेगा’ जैसी गर्वोक्ति करने वाले भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के लगता है, बुरे दिन आ गए हैं। 21 दिसंबर को कुश्ती संघ का चुनाव हुआ और उसके मात्र तीन दिन बाद ही कुश्ती संघ को निलंबित करके उसकी कमान भारतीय ओलंपिक संघ को सौंप दी।

18 जनवरी को भारतीय कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया और जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे, तो केंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। सरकार ने तो इसे राजनीति प्रेरित बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। बाद में मामला जब अदालत तक गया, तब भी बृजभूषण शरण सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। बस उन्हें कुश्ती संघ से मुक्त कर दिया गया। भाजपा की परंपरा रही है, उनके सांसद, विधायक या मंत्री पर कितना भी गंभीर आरोप लगे हों, वह उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है।

जब तक अदालत में वह दोषी करार न दिया जाए। 21 दिसंबर को जब संजय सिंह कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने गए, तो उन्होंने बृजभूषण सिंह के करीबी होने का जो बयान दिया, उसने सरकार को एक मौका उपलब्ध करा दिया। उस पर दूसरी गलती उन्होंने यह की कि अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप कराने की घोषणा की और गोंडा के नंदिनी नगर में बने स्टेडियम में प्रतियोगिता कराने की बात कही।

इसके विरोध में साक्षी मलिक ने जब संन्यास लेने की घोषणा की और उनके समर्थन में बजरंग पुनिया ने पद्मश्री लौटा दिया, तो सरकार को लगा कि उसने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री विवाद में जाटों का जो समर्थन हासिल किया है, वह साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया की वजह से हाथ से निकल सकता है। बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक को विपक्षी दल एक बड़ा मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की फिराक में थे।

साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया सहित कुछ और पहलवानों का कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलना, इस बात का पक्का सुबूत था कि विपक्षी दल इस मामले को आसानी से हाथ से जाने देने वाले नहीं हैं। बस केंद्र सरकार को मौका मिल गया। संजय सिंह के बहाने बृजभूषण शरण सिंह को दायरे में रहने का संकेत देने का। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि भाजपा के लिए बृजभूषण काफी लाभदायक हैं।

वह कैसरगंज के साथ-साथ गोंडा और बहराइच के कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर अपना अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। यही वजह है कि भाजपा भी इन सीटों पर अपना नुकसान नहीं कराना चाहती है। यही वजह है कि उसने तब तक कोई कार्रवाई करने से परहेज किया, जब तक कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण रहे। लेकिन संजय सिंह के अध्यक्ष बनने और संघ के नियमों के खिलाफ फैसले लेने पर सरकार ने कुश्ती संघ भंग करके बृजभूषण सिंह को संकेत भी दे दिया और जाटों को अपने खिलाफ होने से भी बचा लिया।

-संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

पूरे प्रदेश की जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे कुछ किसान

संजय मग्गूप्रदूषण सबके लिए हानिकारक है, यह बात लगभग हर वह आदमी जानता है, जो बालिग हो चुका है। अब तो नाबालिग बच्चे भी...

झाड़ फूंक कर इलाज के नाम पर धर्म परिवर्तन का प्रयास करने के आरोप में 9 गिरफ्तार

बाराबंकी जिले में धर्म परिवर्तन के आरोप में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि इन लोगों पर आरोप...

फरीदाबाद में निजी अस्पताल को बम से उड़ाने की धमकी देने वाला व्यक्ति गिरफ्तार

फरीदाबाद पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसने अपनी प्रेमिका को प्रभावित करने के लिए चार दिन पहले एक निजी अस्पताल को...

Recent Comments