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पांच पीढ़ियों से बना रहे मूर्तियां, रोज 18 घंटे किया काम तब जाकर तैयार हुई अचल मूर्ति

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अरुण योगीराज का नाम अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है। जब से देश में राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ है तब से इस मंदिर में राम लला की मूर्ति स्थापित करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसके बाद से ये नाम लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। आपको बता दें कि अरुण योगीराज मूर्तिकार हैं जो भगवान राम के स्वरूप को मूर्त रूप दे रहे हैं। उनका नाम अब मशहूर हो गया है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान राम की मूर्ति बनाने से पहले अरुण योगीराज एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी कर रहे थे। लेकिन उन्हें नाम और प्रसिद्धि दोनों राम की भक्ति से ही मिलना तय था। जब अरुण योगीराज ने अपनी जिंदगी का ये अहम फैसला लिया, तो उनके परिवार का क्या रिएक्शन था, आइए जानते हैं…

पत्नी की पहली प्रतिक्रिया

अरुण योगीराज की पत्नी विजेता योगीराज ने मूर्तिकला अपनाने के उनके फैसले पर आश्चर्यजनक प्रतिक्रिया दी। इसी सिलसिले में उन्होंने इस बारे में बताया। उनसे पूछा गया कि जब अरुण योगीराज ने उन्हें अपनी जिंदगी के इतने बड़े फैसले के बारे में बताया तो उनका क्या रिएक्शन था। इस सवाल पर विजेता योगीराज ने कहा कि उनका पूरा ससुराल कलाकारों का ससुराल है। उन्होंने हमेशा अपने परिवार के सदस्यों को मूर्तियां बनाते देखा है। उन्होंने अरुण योगीराज को भी यही काम करते देखा है। जिसमें वह काफी खुश भी रहते हैं। इसलिए, जब अरुण योगीराज ने उन्हें बताया कि एमबीए पूरा करने के बावजूद वह मूर्तिकला का काम करना चाहते हैं, तो यह सुनकर वह बहुत खुश हुए।

मूर्तिकारों की पांचवीं पीढ़ी

अरुण योगीराज परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं जो मूर्तियां बना रहे हैं। उनके पिता योगीराज भी एक उत्कृष्ट मूर्तिकार थे। उनके दादा का नाम बसवन्ना शिल्पी है। जो मैसूर के राजा के संरक्षण में भी रहे और कई मूर्तियां गढ़ीं। इस पारिवारिक हुनर को छोड़कर अरुण योगीराज ने एमबीए किया और एक प्राइवेट फर्म में नौकरी भी की। लेकिन अरुण योगीराज को नौकरी में कोई दिलचस्पी नहीं थी। आख़िरकार अरुण योगीराज ने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर लौट आए और इस कौशल को आज़माया और भगवान की मूर्ति बनाने के काम में लीन हो गए।

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