Monday, December 23, 2024
18.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiलावारिस पशुओं से होने वाले हादसों को रोकना जरूरी

लावारिस पशुओं से होने वाले हादसों को रोकना जरूरी

Google News
Google News

- Advertisement -

भले ही हाईकोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने फैसला लिया हो, लेकिन फैसला जनता के हित में है। प्रदेश सरकार अब बेसहारा पशुओं की वजह से घायल होने या गंभीर चोट लगने पर हुई मौत के मामले में मुआवजा देगी। कुत्ते के काटने पर भी मुआवजा दिया जाएगा। यदि एक दांत लगता है, तो दस हजार रुपये और अगर मांस उधड़ जाता है, तो कम से कम बीस हजार रुपये का मुआवजा देना तय किया गया है। यह सचमुच जनहित में लिया गया फैसला है। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी, जो बेसहारा पशुओं के चलते हादसे का शिकार होते हैं और उन्हें अपने इलाज के लिए भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ती है।

प्रदेश का कोई भी शहर हो और किसी भी शहर का कोई भी इलाका हो, कुत्ते, बैल, गाय, सुअर आदि घूमते मिल जाएंगे। इन बेसहारा जानवरों के चलते सड़क हादसे आए दिन होते रहते हैं। कई बार तो ये बेसहारा पशु आपस में लड़ते हैं जिसकी वजह से कई लोग चोटिल हो जाते हैं या चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है। सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के मालिक कई बार दुधारू जानवरों को भी दूध निकालने के बाद छोड़ देते हैं। ये दुधारू जानवर सब्जी और अनाज मंडियों में जाकर किसानों और दुकानदारों को नुकसान पहुंचाती हैं। यह कतई उचित नहीं है।

जानवरों को किसी भी हालत में खुला नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता पाया जाए, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। कुछ लोग तो जब तक गाय, भैंस दूध देती रहती हैं, तब तक पालते हैं। जहां उनका दूध देना बंद हुआ, उसको लावारिस छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति से बचने का कोई उपाय सरकारी स्तर पर खोजना चाहिए। वैसे प्रदेश के लगभग हर जिले में गौशालाएं खुली हुई हैं। दूध न देने वाले जानवरों को यहां लाकर दिया जा सकता है, लेकिन लोग इतनी भी जहमत नहीं उठाते हैं। हर गली और मोहल्ले में आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं। यह मौका पाकर आते-जाते लोगों पर हमला करते हैं। उन्हें काटकर घायल कर देते हैं।

कई घटनाओं में देखा गया है कि झुंड में घूमने वाले कुत्ते छोटे बच्चों को मौका पाकर नोच-नोच कर खा जाते हैं। यह भयावह है। इन लावारिस कुत्तों का बंध्याकरण करके इनकी संख्या को नियंत्रित करना चाहिए। यूरोप और अमेरिकी देशों की तरह यहां पर भी स्ट्रीट एनिमल की इजाजत नहीं होनी चाहिए। यदि किसी को कोई जानवर पालना है, तो बाकायदा नगर निगम या नगर महापालिका से इजाजत ले और उसकी हर छह महीनेमें जांच करवाए। तभी इन लावारिस पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है। सरकार को इस संदर्भ में कोई पहल करनी चाहिए। मुआवजा देना भले ही जनहित में है,लेकिन इसका स्थायी समाधान जरूर खोजना चाहिए।

-संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

हरियाणा में बर्थडे पार्टी में गोलियां मारकर 3 की हत्या: इनमें हिसार की युवती, दिल्ली के 2 युवक शामिल; नई स्कार्पियो में बैठे थे

हरियाणा के पंचकूला में सोमवार तड़के 3 बजे होटल में बर्थडे पार्टी के दौरान पार्किंग में ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। जिसमें नई स्कार्पियो कार...

delhi weather:दिल्ली में हल्की बारिश,तापमान8.6 डिग्री सेल्सियस

दिल्लीवाले सोमवार(delhi weather:) सुबह हल्की बारिश और धुंध के साथ उठे, और न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो मौसमी औसत से...

Pm Charan Singh:प्रधानमंत्री मोदी ने चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती पर अर्पित की श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री (Pm Charan Singh:)नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने...

Recent Comments