अगर कोई व्यक्ति पढ़ना लिखना चाहता है, तो वह अपनी शिक्षा का कोई न कोई मार्ग अवश्य तलाश लेगा। दुनिया भर में बहुत सारे ऐसे उदाहरण आपको मिल जाएंगे, जब गरीब से गरीब व्यक्ति ने पढ़ने के जुनून को पूरा करने के लिए ढेर सारा परिश्रम किया और जीवन में कुछ बनकर दिखाया। हमारे देश के भी कई महापुरुषों ने गरीबी से लड़ते हुए शिक्षा हासिल की और दुनिया में अपना नाम रोशन किया। ठीक इसी तरह अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन ने उदाहरण पेश किया था बचपन में। जब वह छोटे थे, तो उनमें पढ़ने की बहुत ललक थी। उनके माता-पिता बहुत गरीब थे। एक दिन वे एक स्कूल के प्रिंसिपल के पास पहुंचे और उनसे बोले कि मैं पढ़ना चाहता हूं, लेकिन मेरे माता-पिता स्कूल की फीस नहीं भर सकते हैं।
स्कूल में निशुल्क पढ़ने का कोई तरीका है तो बताएं। प्रिंसिपल ने कहा कि यदि तुम्हें स्कूल में पढ़ने को मिल जाए, तो तुम स्कूल के लिए क्या करोगे। इस पर बालक वाशिंगटन ने कहा कि मैं स्कूल के बगीचे और फर्श आदि की सफाई कर दिया करूंगा। प्रिंसिपल ने कहा कि ठीक है। कल से तुम पढ़ने आ जाओ। उस दिन जार्ज वाशिंगटन ने पूरे स्कूल की सफाई की और बगीचों को भी साफ सुथरा बना दिया।
अगले दिन से वह स्कूल जाने लगा। सुबह वह मन लगाकर पढ़ाई करता और स्कूल खत्म होने के बाद स्कूल के गार्डन और फर्श आदि की सफाई करता। यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। अपनी क्लास के अच्छे छात्रों में गिने जाने वाले जार्ज वाशिंगटन अपनी प्रतिभा और लगन के चलते एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने, लेकिन वह उस प्रिंसिपल को आजीवन नहीं भूले।