भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने और कई तरह के विवाद खत्म करने के लिए सम्पतियों की प्रोपर्टी आइडी बनवाने के साथ सरकार ने सम्पति पंजीकरण भी Online किया है। लेकिन प्रोपर्टी आइडी बनाने वाली निजी कंपनी की लापरवाही का खामियाजा अब प्रदेश के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं संबंधित विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इसे भ्रष्टाचार का हथियार बना लिया है। प्रोपर्टी आइडी बनाने अथवा उसमें मौजूद त्रुटियों को दूर करने के बदले में निगम कर्मचारियों द्वारा न केवल लोगों से चक्कर कटवाए जा रहे हैं बल्कि मोटी रकम तक वसूली जा रही है। एंटी करप्शन ब्यूरों के हाथों पिछले दिनों निगम कर्मियों के पकड़े जाने के बाद इस बात का खुलासा हुआ है। रिश्वत खोरी में पकड़े गए यह दो कर्मचारी तो सिर्फ मोहरा मात्र हैं। यदि एंटी करप्शन ब्यूरों द्वारा मामले की गहनता से जांच की जाए तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। अब प्रोपर्टी आईडी की त्रृटियां दूर करने के कैंप लगाकर भी दिखावा किया जा रहा है।
आम जनता का हो रहा शोषण
जयपुर की कंपनी ने ज्यादातर आईडी गलत बनाई हैं और अनेक सम्पतियों की आइडी बनाई ही नहीं है। अब लोगों को सम्पतियों की आइडी बनवाने अथवा त्रुटियांदूर करवाने के लिए भटकना पड़ रहा है। क्योंकि बिना आइडी के न तो निगम को शुल्कों का भुगतान हो रहा हैं और आइडी के बिना सम्पतियों की रजिस्ट्री भी नहीं हो रही है। यह बात प्रोपर्टी आइडी के काम से जुड़े निगम के कर्मचारियों को अच्छी तरह पता है। ऐसे में अधिकारी और कर्मचारी लोगों की मजबूरी का बाखूबी फायदा उठा रहे हैं। प्रोपर्टी आइडी बनवाने का दावा करने के बाद कई दलाल भी निगम कार्यालय में सक्रिय रहते हैं। जो निगम के कर्मचारियों से मिली भगत कर प्रोपर्टी आइडी बनवाने अथवा त्रुटियां दूर करवाने के बदले लोगोंसे मोटी रकम वसूल रहे हैं। लेकिन आला अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हुए हैं।
Online के नाम अवैध वसूली
सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर अटल सेवा केंद्र अथवा ग्राहक सेवा केंद्र शुरू किये हुए हैं। यहां विभिन्न तरह के सरकारी काम और जरूरी दस्तावेज बनवाने का Online आवेदन करने के लिए सरकार ने शुल्क निर्धारित किया है। विभिन्न तरह के कामों के लिए यहां कुछ कामों को छोडकर शुल्क दस से 100 रुपये तक है। इसके अलावा पासपोर्ट के लिए 1600, पेन कार्ड का 150 और Online मैरिज एप्लीकेशन का 250 रुपये शुल्क निर्धारत है। लेकिन यह केंद्र संचालक छोटे छोटे कामों के लिए सैंकड़ों और बड़े काम के हजारों रुपये वसूल रहे हैं। नियमों के मुताबिक किसी तरह के काम के लिए इन केंद्रों को आवेदन और संबंधित कागजात अपलोड करने होते हैं। जिसके बाद काम खुद Online होने चाहिए। लेकिन ज्यादातर केंद्र संचालक पूरा काम करवाने का ठेका लेकर लोगों से मोटी वसूली करते हैं।
जांच में हो सकता है खुलासा
200 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में आउट सोर्सिंग कर्मचारियों के कई नाम उजागर हुए थे। आउटसोर्सिंग के कई कर्मचारियों को उनके पदों की बजाए अन्य कार्यो में लगाते हैं। पिछले दिनों प्रोपर्टी आइडी बनाने के बदले 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया चपड़ासी सफाई कर्मचारी है। ऐसे ही कारणों से निगम में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। एंटी करप्शन ब्यूरों ने कई अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। लेकिन निगम में इस का खौफ नजर नहीं आता है। क्योंकि कर्मचारी अपने ऊपर बैठे अधिकारियों की शह पर ही रिश्वत वसूलते हैं। लेकिन ऐसे मामले में आगे की जांच न होने से अन्य लोग बच जाते हैं। यदि पिछले दिनों रिश्वत लेने के मामले में पकड़े गए दोनों आरोपियों से गहनता पूछताछ अथवा जांच की जाए तो अन्य कई अन्य चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं।
कैंप की आड़ में दिखावा
समाज सेवी बिजेंद्र त्यागी का कहना है कि उल्टी सीधी आईडी बनाकर कंपनी तो भुगतान लेकर चली गई। लेकिन शहर के आम लोगों को इनकी वजह से रोज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग रोज निगम के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। प्रोपर्टी आईडी की त्रुटि दूर करने के लिए लगाए जाने वाले शिविरों में भी सिर्फ दिखावा किया जा रहा है।
-राजेश दास