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कांग्रेस को लेकर ममता की नाराजगी जायज है

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तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह साफ कर दिया है कि बंगाल में टीएमसी अकेले चुनाव लड़ेगी और इंडिया गठबंधन से चुनाव के बाद बात होगी। उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वह इंडिया गठबंधन से बाहर नहीं जा रही हैं। ठीक इसी तरह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी भी अकेले चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस से पंजाब में कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा। उधर बिहार में नीतीश कुमार भी ढुलमुल रवैया अख्तियार किए हुए हैं।

सियासी गलियारे में यह आम चर्चा है कि वे किसी भी समय भाजपा का हाथ थाम सकते हैं। नीतीश कुमार ऐसा क्यों कर रहे हैं यह समझ से परे है। यह वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने भाजपा छोड़ते समय कसम खाई थी कि मर जाऊंगा, लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करूंगा। इसी को आज राजनीति कहा जाता है। कांग्रेस पर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी का आरोप है कि शीट शेयरिंग मामले को लेकर कांग्रेस गंभीर नहीं है। जब भी इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने सीट बंटवारे को लेकर बात की है, कांग्रेस के नेताओं ने कोई रुचि नहीं दिखाई है। कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की आगवानी के संदर्भ में भी कांग्रेस ने कोई बात नहीं की है।

ममता बनर्जी की कुछ बातें तो बिलकुल सही है। कांग्रेस रह-रहकर जागती है, गठबंधन के नेताओं से बातचीत करती है और फिर सो जाती है। ऐसा लगता है कि इंडिया गठबंधन को लेकर वह गंभीर नहीं है। जहां तक पश्चिम बंगाल की बात है, कांग्रेस का पिछले कई दशकों से जनाधार लगभग खत्म हो गया है। बंगाल में कांग्रेस का जनाधार खत्म किया वामपंथी पार्टियों ने। लगभग ढाई दशक तक लेफ्ट पार्टियों के शासन के बाद बंगाल की सत्ता पर काबिज हुईं ममता बनर्जी। अब जब इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के साथ-साथ लेफ्ट पार्टियां भी शामिल हैं, ऐसी स्थिति में ममता बनर्जी का लेफ्ट के साथ काम करना मुश्किल है। वामपंथी पार्टियां और कांग्रेस यदि सेंध लगाएंगी, तो वह ममता के ही वोट बैंक में। ऐसी स्थिति में कोई गठबंधन क्यों करना चाहेगा।

टीएमसी ने कांग्रेस को दो सीटों पर चुनाव लड़ने का आफर दिया है, लेकिन यह कांग्रेस को स्वीकार नहीं है। उसे इससे ज्यादा सीटें चाहिए, जबकि पश्चिम बंगाल की हालत यह है कि वहां लोकसभा की कुल 42 सीटों में से टीएमसी के पास 23 सीटें हैं। 17 सीटों पर भाजपा काबिज है। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के पास लोकसभा की एक भी सीट नहीं है। यदि टीएमसी दो सीटें कांग्रेस को दे भी रही है, तो वह भी सीने पर पत्थर रखकर। ममता ने तो कांग्रेस को यहां तक ऑफर दिया है कि वह तीन सौ सीटों पर चुनाव लड़े और बाकी सीटें क्षेत्रीय पार्टियों के लिए छोड़ दे। कांग्रेस इस पर राजी नहीं है। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी गाहे-बगाहे ममता के खिलाफ बयान भी देते रहते हैं। इसके बावजूद अगर ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन में ही रहने की बात कही तो वह इस मामले में काफी गंभीर हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आज नहीं तो कल, ममता और मान में कोई न कोई समझौता हो ही जाएगा। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)

-संजय मग्गू

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