कृतियों को देखने से ज्यादा पढ़ने की बात कहने वाले कलाकार रमेश थोराट की कृतियां वाकई पढ़ने की मांग करती हैं तो वहीं कलाकार विमल चंद के निराले, यूनिक एवं वाइब्रेंट रंगों के साथ बिल्कुल ही अलग और आकर्षित दृश्य चित्रों के साथ जुड़ाव हो जाता है। फूल पत्तियों के बीच से झांकती दिलावर खान की आकृतियां मन से उठते भाव को प्रदर्शित करती हुई जान पड़ी है जबकि ब्रज मोहन आर्य की आकृतियां एक दूसरे से इस कदर बतियाती नजर आती हैं मानो अपनी ही दुनिया में मस्त मगन खोई हों।
अनस सुल्तान की कृतियों में भी रंगों की सादगी जिंदगी के सुकून के साथ उपस्थित है। फ्लैट एवं बोल्ड स्ट्रोक्स के साथ गहरे रंगों में जरूरत के हिसाब से बहुत कम रेखाओं के साथ गहरे भावों को लिए अपने यात्रा पर होते हैं कलाकार हेमराज। उनकी कृतियां अमूर्त होने के बावजूद प्रकृति के बेहद करीब हैं। क्ले, फाइबर ग्लास स्टोन, वुड आदि माध्यमों में कार्य करने वाली कलाकार रितू मनचंदा की कृतियों में भी नैसर्गिक क्रियाएं प्राकृतिक प्रस्तुतियों के महत्व को आसानी से देखा जा सकता है। कलाकार अजय समीर जिनकी रचनाओं का अपना एक अलग संसार है।
श्याम-स्वेत रंगों के साथ एकदम भिन्न टेक्सचर के प्रयोग से धीरे-धीरे एक ऐसे संसार की यात्रा हो जाती है जहां आकृतियां बिल्कुल ही मूर्त हैं पर भाव हेतु बिल्कुल ही गहरे उतरना पड़ता है। जिंदगी के तमाम उधेड़बुन को उजागर करती हुई गहरे उथल-पुथल के बीच से अपने भाव उठाने वाले कलाकार हैं पंकज तिवारी। इनकी कृतियां हॉफ लाइफ श्रृंखला पर आधारित हैं जो जीवन के सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों के आपसी टकराहट को दर्शाती हैं। कैनवास पर निरंतर सृजन की ओर अग्रसर कलाकार संजीब गोगोई सौंदर्य और ऐतिहासिक क्षणों के एक साथ संयोजन हेतु जाने जाते हैं।
खुशियों को रंगों के साथ और बेहद ही प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करते हैं कलाकार रमेश कुमार। उनकी कृतियों में वाइब्रेंट रंग है तो नृत्यरत संगीत में डूबी हुई आकृतियां भी हैं। कलाकार राधे श्याम की कृतियों में आकर्षण है, प्रेम है तो भाव में डूबी एक अलग ही मौखिक अनुपात में चेहरे भी हैं। राजेश शर्मा द्वारा पटल पर सृजित आसमान, पहाड़, समुद्र बीच-बीच में क्रिएट किए गए टेक्सचर गजब ही मोहक बन पड़े हैं। कलाकार विजय पाल चॉक पर बेहद ही करीने से सजाते हैं अपने सपनों की दुनिया। टेक्सचर कमाल का है। दिशा इनावटी पौराणिक विषयों पर अध्ययन के साथ गोंड कला के माध्यम से अपनी बात अपनी कृतियों में करती हैं।
कलाकार हंस राम यादव की आकृतियां अपने तरीके से इजाद करी गई टेक्निक पर आधारित हैं। जलरंग और एक्रेलिक पर अच्छी पकड़ है। बांस और उनके पत्तों पर गहरे अध्ययन के साथ बेहद ही खूबसूरत कृतियों का सृजन करते हैं कलाकार रमेश यादव जबकि मनोज पासवान के कृतियों में आंदोलनजीवी की पूरी एक थीम है। तवलीन लाल की कृतियों में भाव, विचार एवं भावुकता साफ झलकती है। रंगों के गहरे और गहरे होते परतों के बीच से झांकती कोमलता दर्शकों को घंटों बांधे रख सकती है। क्ले, फाइबर, ब्रोंज, स्टील आदि कई माध्यमों में कार्य करने वाले कलाकार सुरेश कुमार प्रकृति, पुस्तक आदि से प्रभावित हो बेहद ही फोर्स युक्त मूर्तिशिल्पों की रचना करते हैं। ब्रश के बेहद ही बोल्ड स्ट्रोक से कार्य करने वाले कलाकार विक्रम कुमार की कृतियां लोक कला के बेहद करीब हैं।
कहानियां हैं उनकी कृतियों में जबकि नान टॉक्सिक प्रिंट मेकिंग में अपने रिसर्च करने वाली कलाकार सुषमा यादव की कृतियां फेमिनिज्म से रिफ्लेक्टेड दिखाई देती हैं। कला सृजन को लेकर कलाकार आशुतोष पाणिग्रही का कहना है कि ‘मेरी कला कृतियां स्वप्नों को उजागर करती हैं जो भी उस कृतियों से जुड़ना चाहेगा उसको उसके स्वप्न वहां जरूर मिलेंगे।’ कपिल कुमार की कृतियों में भी स्ट्रोक्स और संवाद है। ओंकार सिंह कहते हैं कि ‘कुंभ के दौरान संतों को सजते हुए देखने के बाद दो चेहरों का विचार मेरे मन में आया और उसी पर लगातार काम चल रहा है’। विनय शर्मा चारकोल और सॉफ्ट पेस्टल के विशेष कलाकार हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
-पंकज तिवारी