Tuesday, September 17, 2024
28.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiपुस्तकों के मोहपाश में बंधने लगी युवा पीढ़ी

पुस्तकों के मोहपाश में बंधने लगी युवा पीढ़ी

Google News
Google News

- Advertisement -

इन दिनों दिल्ली में वर्ल्ड बुक फेयर चल रहा है। हजारों लोग दूर-दूर से दिल्ली पहुंच रहे हैं विश्व पुस्तक मेले में शामिल होने के लिए। दिनोंदिन विश्व पुस्तक मेले की बढ़ती लोकप्रियता इस बात की आश्वस्ति प्रदान करती है कि लोगों का अभी पुस्तकों से मोह भंग नहीं हुआ है। पुस्तक मेले में पहुंचने वालों में युवा हैं, बच्चे हैं, बुजुर्ग हैं, महिलाएं हैं। लेकिन यदि पुस्तक मेले में आने वालों का आयु वर्ग निकाला जाए, तो शायद बच्चों और युवाओं की संख्या ज्यादा निकलेगी। पिछले कुछ सालों से तो प्रकाशकों ने हर राज्य में पुस्तक मेलों का आयोजन करना शुरू कर दिया है।

हमारे देश में पुस्तकों की ओर लौटते युवा इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं कि आभासी दुनिया भले ही कितना विस्तार पा ले, कितने ही लुभावने रूप धारण कर ले, लेकिन पुस्तक का विकल्प नहीं हो सकती है। यह प्रवृत्ति भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिकी देशों में विस्तार पा रही है। अमेरिका में भी लोग सोशल मीडिया से तंग आ चुके हैं। वे अब साहित्य की ओर लौटने लगे हैं। एक सर्वे के मुताबिक अमेरिका में लाइब्रेरी में जाकर किताबें, अखबार और पत्रिकाएं पढ़ने वालों की संख्या में 71 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। लाइब्रेरियों में इधर एकाध वर्ष में भीड़ दिखने लगी है। अमेरिका में ऐसे लोगों की तादाद भी 40 प्रतिशत बढ़ी है जिन्होंने साल छह महीने में एक पुस्तक जरूर पढ़ी है। 

यह भी पढ़ें : गांधी ने युवक को दी सदुपयोग करने की सीख

भारी संख्या में जेन जी यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मे युवा अब डिजिटल प्लेटफार्म का परित्याग करके पुस्तकों की ओर लौटने लगे हैं। युवाओं में आभासी दुनिया को लेकर एक ऊब पैदा होने लगी है। वैसे भी अवास्तविक दुनिया किसी को कितनी देर तक अपने मोहपाश में बांध पाएगी। एक न एक दिन यह भ्रमजाल टूटना ही था। जब भारत में टीवी चैनलों का अजस्र प्रवाह होना शुरू हुआ था, तब लोगों ने आशंका जताई थी कि यह प्रवृत्ति अखबारों को निगल जाएगी। लेकिन तब भी कुछ लोगों ने कहा था कि अखबार और पुस्तक का केवल एक ही गुण उसे बाजार से बाहर नहीं होने देगा।

आभासी दुनिया में कोई पोस्ट, खबर या रील एक बार आगे बढ़ी, तो फिर उसको बाद में देख पाना काफी मुश्किल है। लेकिन अखबार या किताब को जब फुरसत हो, तब पढ़ा जा सकता है। बस, मेट्रो, टैंपो में आते जाते इसे पढ़ा जा सकता है, दिन हो या रात बिस्तर पर लेटे हुए पढ़ा जा सकता है। लेकिन सोशल मीडिया पर यह सुविधा नहीं है। पुस्तक, पत्र-पत्रिकाओं की दूसरी खूबी यह है कि इसके माध्यम से मिला ज्ञान स्थायी रहता है। यही वजह है कि किताबों को इनसान की सच्ची मित्र कहा जाता है। किताबें बिना किसी भेदभाव के हमारा मार्गदर्शन करती हैं, हमें सभ्य नागरिक बनने की प्रेरणा देती हैं। मानव समाज की सबसे ज्यादा सेवा और मदद पुस्तकें ही करती हैं। पुस्तकों से कीमती कोई वस्तु नहीं है। अच्छी बात यह है कि हमारी वर्तमान पीढ़ी को इसकी महत्ता समझ में आ गई है और वह पुस्तकों में रुचि लेने लगी है।

संजय मग्गू

-संजय मग्गू

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

INLD Haryana: INLD नेता अभय सिंह चौटाला का दावा, हमारा गठबंधन सत्ता में आएगा

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले, 5 अक्टूबर को होने वाले मतदान के मद्देनज़र, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD Haryana:) के नेता और हरियाणा विधायक अभय...

MAMTA DOCTORS: ममता बनर्जी आज शाम करेंगी प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बातचीत, बुलावा भेजा

पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को आरजी कर अस्पताल मामले में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए पांचवीं और आखिरी बार प्रदर्शनकारी जूनियर...

RE-INVEST2024: पीएम मोदी ने भारत की नवीकरणीय ऊर्जा रणनीति और प्रगति पर की चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में देश की तेज प्रगति के...

Recent Comments