विनम्रता, सरलता और दयालुता ऐसे मानवीय गुण हैं जिनकी बदौलत व्यक्ति किसी को भी अपना बना सकता है। ऐसे गुण वाले व्यक्ति को कोई पराजित भी नहीं कर सकता है। जो व्यक्ति विनम्रता से किसी के आगे झुक जाता है, वह महान हो जाता है। विनम्रता को लेकर एक रोचक कथा है। इस कथा में नदी और समुद्र का मानवीकरण किया गया है, ताकि संदेश को आम लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सके। विनम्रता, सरलता और दयालुता ऐसे गुण हैं जिनकी बदौलत किसी को भी अपना बनाया जा सकता है।
कथा कुछ इस प्रकार है। एक बार की बात है, एक नदी को इस बात का अभिमान हो गया कि वह अपने प्रबल वेग से सब कुछ उखाड़ सकती है। सबको बहा सकती है। वैसे भी जब कहीं किसी क्षेत्र में बाढ़ आती है, वह अपने साथ सब कुछ बहा ले जाती है। उस अभिमानी नदी ने समुद्र से कहा कि मैं सब कुछ बहा सकती हूं। आप बताएं, क्या क्या बहाकर लाना है। समुद्र समझ गया कि नदी को अपने प्रबल वेग पर अभिमान हो गया है। समुद्र ने कहा कि माना तुम सबकुछ अपने प्रबल वेग में बहा सकती हो। लेकिन यदि तुम एक मुट्ठी दूब ले आओ, तो अच्छा होगा। यह सुनकर नदी ने समुद्र से कहा, थोड़ी देर रुको। मैं दूब लेकर आती हूं।
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नदी ने अपने उद्गम स्थल से प्रवाह तेज कर दिया। उस प्रवाह में मकान, पेड़ सब बहने लगे। जो भी उसके मार्ग में आया वह बह गया, लेकिन दूब जहां की तहां खड़ी रही। नदी ने दूब को बहाने की कोई बार कोशिश की। अंत में हारकर वह समुद्र के पास पहुंची और बोली, मैं दूब को ला पाने में सफल नहीं हुई। जब भी मेरा वेग वहां तक पहुंचता है, दूब झुक जाती है। इससे मेरा प्रवाह बेकार हो जाता है। यह सुनकर समुद्र हंसा और बोला, जो झुक जाता है, विनम्र हो जाता है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। विनम्रता के आगे सारी ताकतें बेकार हो जाती हैं।
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