22 फरवरी यानी गुरुवार को भारत, श्रीलंका और मालदीव के तटरक्षकों ने दोस्ती-16 के नाम से युद्धाभ्यास किया। इस युद्धाभ्यास का आब्जर्वर बांग्लादेश है। यह युद्धाभ्यास 25 फरवरी तक चलेगा। इसी दिन चीन का कथित रिसर्चर जहाज शियांग यांग होंग 3 मालदीव की जल सीमा क्षेत्र में पहुंचा। यह जहाज पिछले एक महीने से हिंद महासागर में था और रडार की पकड़ से गायब था। चीन का ये जहाज 22 जनवरी के बाद से ही रडार में कहीं नहीं दिख रहा था। माना जा रहा है कि इस जहाज के ट्रैकिंग सिस्टम को बंद कर दिया गया था। मालदीव के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन यानी ईईजी में करीब एक महीने रहने के बाद यह जहाज 22 फरवरी को माले के पास दिखा है।
इसी दिन भारत, श्रीलंका और मालदीव युद्धाभ्यास कर रहे थे। मालदीव की अधाधू वेबसाइट पर सैटेलाइट जानकारों के हवाले से जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक इस जहाज ने करीब एक महीना ईईजी में गुजारा है। एक ओर भारत अपने संबंध मालदीव से बेहतर करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन मालदीव अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। जब से मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू बने हैं, भारत के खिलाफ फैसले ले रहे हैं। परंपरागत रूप से मालदीव का नया राष्ट्रपति सबसे पहले भारत की यात्रा करता है, लेकिन जनवरी में वे सबसे पहले चीन गए थे और उनके चीन जाने के 24 घंटे में ही यह जासूसी जहाज चला था। इस मामले में भारत बराबर निगाह बनाए हुए है। कहा यह भी जा रहा है कि पिछले एक साल से चीन का जासूसी जहाज शियांग यांग होंग 3 किसी न किसी बहाने हिंद महासागर में ही घूम रहा है।
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जब यह जहाज जनवरी में चीन से चला था, तब भारत के दबाव में श्रीलंका ने अपने जलक्षेत्र से इसे गुजरने देने से मना कर दिया था। साल 2022 में युआन वांग 5 नाम का चीनी सैन्य जहाज कोलंबो पहुंचा था। रॉकेट और मिसाइल हमले को ट्रैक करने की काबिलियत रखने वाले इस जहाज के श्रीलंका आने को लेकर भारत ने अपनी चिंता जताते हुए विरोध भी दर्ज कराया था। इस बारे में अमेरिकी सैन्य अधिकारियों का कहना है कि यह चीन का जासूसी जहाज है, जो हिंद महासागर में रिसर्च के नाम पर सब पर नजर रख रहा है और सैन्य डाटा जुटा रहा है। सैन्य डाटा जुटाने के लिए तो चीन ने एक गुब्बारा तक पिछले साल अमेरिकी क्षेत्र में पहुंचा दिया था।
इसको लेकर दोनों देशों में काफी गहमागहमी तक हुई थी। चीन के जासूसी जहाज पहुंचने से भारत के लिए असहज स्थितियां पैदा हो गई हैं। वह इसे हिंद महासागर में चीनी हस्तक्षेप मान रहा है। यही वजह है कि वह इस मामले को काफी गंभीरता से ले रहा है। मालदीव के रवैये को लेकर भी भारतीय चिंता बढ़ती जा रही है। मालदीव की भौगोलिक स्थिति भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि उसको कई मामलों में मालदीव की हरकतों को लेकर नरमी बरतनी पड़ती है।
-संजय मग्गू
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