हमारे देश में सदियों से एक ही मंत्र गूंजता रहा है-‘अतिथि देवो भव:।’ अतिथि इसलिए क्योंकि इसके आने की कोई तिथि नहीं होती है। हमारे यहां आने वाले अतिथि के जाने की भी कोई तिथि नहीं होती है। हमारे देश में मित्र, नाते-रिश्तेदार अपनी मर्जी से आते और जाते रहे हैं। देश के पर्यटन उद्योग ने भी इस मंत्र को बहुत पहले से ही स्वीकार कर लिया है। सदियों से वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा वाले देश में यदि पर्यटन स्थलों का अच्छी तरह से विस्तार, सौंदर्यीकरण के साथ-साथ सुविधाओं में बढ़ोतरी की जाए, तो विदेशी पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बन सकता है। सरकारी आंकड़ा कहता है कि हमारे देश में सत्तर से अस्सी लाख पर्यटक हर साल आते हैं। इसे थोड़े से प्रयास से पांच से छह करोड़ के आंकड़े तक पहुंचाया जा सकता है।
हमारे देश के पर्यटन स्थल मिलकर पूरी जीडीपी में सिर्फ छह प्रतिशत के भागीदार हैं। हम अपने पर्यटन स्थलों को वैश्विक स्तर पर लाकर जीडीपी में भागीदारी दो गुना कर सकते हैं। इसके लिए कुछ जरूरी कदम उठाना होगा। सभी आयवर्ग वालों के लिए खाने-पीने और रहने की व्यवस्था पर्यटन स्थलों पर करनी होगी। सभी पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्तर करने के अलावा सड़कों, आवागमन के साधनों और अपराध रहित माहौल प्रदान करना होगा। जब कोई व्यक्ति घूमने-फिरने का मन बनाता है, तो वह सबसे पहले अपनी सुरक्षा के बारे में सोचता है। फिर जहां वह जाना चाहता है, वहां कौन-कौन सी सुविधाएं मिल सकती हैं, आने-जाने की क्या व्यवस्था है, इन सबके बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करता है।
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पर्यटन स्थल से कितनी दूरी पर एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन हैं, इसकी भी जानकारी वह चाहता है। हमारे देश में जिस तरह हर प्रदेश में पर्यटन स्थल मौजूद हैं, उनकी ओर थोड़ा सा ध्यान देकर पर्यटन उद्योग में हमारा देश सिरमौर बन सकता है। भारत में प्राकृतिक सुषमा, ऐतिहासिक विरासत, संस्कृति, आध्यात्मिक संपदा और जलवायु में जो विविधता है, वह दुनिया के ज्यादातर देशों में नहीं है। भारते के लगभग हर जिले में कोई न कोई धार्मिक या ऐतिहासिक महत्व के स्थल मौजूद हैं जिनका संरक्षण करके उन्हें पर्यटन स्थलों में बदला जा सकता है।
भारत के लोग वैसे भी आतिथ्य प्रेमी होते हैं। उनकी यह प्रवृत्ति विदेशी पर्यटकों को लुभाती है। बस, पर्यटन स्थलों को थोड़ा सजाने-संवारने की जरूरत है। यदि केंद्र और राज्य सरकारें ऐसा करने में सफल हो जाती हैं, तो पर्यटन उद्योग में रोजगार की असीमित संभावनाएं मौजूद हैं। अभी इस क्षेत्र में लगभग तीन करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त है। यह रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र हो सकता है। इससे अर्थव्यवस्था में भी बढ़ोतरी होगी विदेशी मेहमानों के आने से। केंद्र सरकार को पर्यटन उद्योग में निजी पूंजी निवेश कराने की पहल करनी होगी। कुछ काम निजी क्षेत्रों को सौंपना होगा, तभी पर्यटन उद्योग फल-फूल पाएगा।
-संजय मग्गू
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