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प्रदूषित यमुना पर राजनीति नहीं ठोस योजना बनाने की जरूरत

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भारत की लगभग सभी नदियां प्रदूषित हैं। इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा गंगा और यमुना नदी की होती है। देश में बहने वाली सबसे लंबी नदी गंगा है। हमारे देश में नदियों को देवी का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि गंगा को मां कहा जाता है। यमुना को भी देवी मानकर पूजा की जाती रही है, लेकिन अफसोस है कि आज देवी समान समझी जाने वाली नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। नदियों के प्रदूषण को लेकर राजनीति भी बहुत की जाती है। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान यमुना नदी के प्रदूषण का मामला उठा, तो सरकार ने इसका ठीकरा दिल्ली सरकार पर फोड़ दिया। मनोहर सरकार का कहना है कि दिल्ली में 22 किमी तक यमुना प्रवाहित होती है।

इसी दौरान यमुना नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है। दिल्ली की औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट आकर यमुना में मिल जाता है जिसका नतीजा यह होता है कि यमुना का पानी छूने लायक तक नहीं रह पाता है। सोनीपत और पानीपत में भी औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट यमुना में मिलता है। यहीं से आगे जाकर यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है। हालांकि प्रदेश सरकार ने यमुना जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए 13 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का फैसला किया है। 16 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हरियाणा सरकार करा रही है। इसका काम भी पूरा होने वाला है। यही नहीं, यमुना जल में प्रदूषित अपशिष्ट घोल रही 89 औद्योगिक इकाइयों को हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बंद करवा दिया है। इन इकाइयों को पहले भी चेतावनी दी गई थी, लेकिन जब नहीं माने, तो इन्हें बंद करवा दिया गया।

यह भी पढ़ें : चौदह बार हारने के बाद भी प्रयास नहीं छोड़ा

यमुना एक्शन प्लान के तहत भी यमुना नदी के जल को शोधित करने का काम चल रहा है। प्रदेश सरकार का दावा है कि उसने यमुना नदी में प्रदूषण फैलाने वाले 122 उद्योगों पर 122 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यही नहीं, 30 औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं। इसके बावजूद यमुना नदी प्रदूषित है, तो इसके लिए विभिन्न राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। इस मामले में कोई भी राज्य अपने को बरी नहीं समझ सकता है। यमुना नदी में प्रदूषण के चलते इसके किनारे बसे शहरों में कैंसर जैसी भयानक बीमारियां फैल रही हैं।

बिना शोधित किए यमुना जल का उपयोग करने वालों को किडनी, लीवर और पेट से संबंधित बीमारियां तो हो ही रही हैं, कैंसर का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। इसका पानी पीने की वजह से प्रदेश के पशुओं को भी कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। यदि यमुना के जल को साफ नहीं किया गया, तो इसका खामियाजा कम से कम तीन प्रदेशों हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के लोगों को भुगतना ही होगा। यमुना के प्रदूषित जल की चपेट में एक बहुत बड़ी आबादी आने वाली है।

संजय मग्गू

-संजय मग्गू

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