जापान के लोगों की ख्याति बहुत मेहनती लोगों में होती है। यही वजह है कि जापान की अर्थव्यवस्था काफी दिनों तक दुनिया के विकसित देशों के समान रही है। प्राचीनकाल में भी जापान ऐसा ही देश रहा है। एक समय में जापान पर यामातो राज्य करते थे। यामातो के मंत्री ओ-चो-सान ने उम्र अधिक हो जाने की वजह से राजकाज से मुक्ति पा ली थी।
उनके परिवार के बारे में यह विख्यात था कि वे सभी मिलजुलकर रहते हैं। उनके परिवार में एक हजार से अधिक लोग हैं। वे आपस में बड़े प्रेम से रहते हैं। उनके बीच कभी कोई मनमुटाव भी नहीं होता था। महिलाएं भी आपस में मिलजुलकर रहती थीं। यह बात धीरे-धीरे सम्राट यामातो तक पहुंची तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। एक दिन उनके मन में आया कि उनके घर चलकर इसका रहस्य पूछा जाए।
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एक दिन वह किसी को कुछ बताए बिना जा पहुंचे ओ-चो-सान के घर। उस समय तक ओ-चो-सान बहुत ज्यादा बूढ़े हो चुके थे। हालचाल पूछने के बाद सम्राट ने पूछा कि आपके परिवार में इतने सारे लोग हैं, लेकिन वे आपस में इतने प्रेम से कैसे रहते हैं? यह सुनकर ओ-चो-सान ने अपने पोते से एक कागज मंगवाया और उस पर लिख दिया-सहनशीलता और कागज सम्राट के हाथों में रख दिया।
सम्राट ने जब यह पढ़ा, तो आश्चर्यचकित हो गए। तब ओ-चो-सान ने समझाया कि जहां सहनशीलता होती है, वहां क्रोध नहीं पैदा होता है। जहां क्रोध नहीं होता है, वहां टकराव नहीं होता है। जब आपस में टकराव नहीं होगा, तो बिखराव होने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। जब बिखराव नहीं होगा, तो स्वाभाविक है कि सभी मिलजुलकर रहेंगे। यह सुनकर सम्रटा यामातो अपने पूर्व मंत्री के परिवार के मिलजुलकर रहने का रहस्य पता चल गया।
-अशोक मिश्र
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