इन दिनों उत्तराखंड के कुछ इलाकों में बाहरी व्यापारियों को लेकर एक आक्रोश पैदा हो रहा है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला इलाके में 91 व्यापारियों को दुकानें खाली करने और वहां से चले जाने का नोटिस स्थानीय व्यापार मंडल ने दिया है। स्थानीय व्यापार मंडल ने इन दुकानों के मालिकों का पंजीकरण भी रद्द कर दिया है। पिछले साल मई 2023 में उत्तरकाशी के पुरोला इलाके में भी एक समुदाय विशेष के व्यापारियों को इलाका छोड़ने का फरमान जारी किया गया था। दरअसल, स्थानीय लोगों और व्यापारियों के आक्रोश के पीछे लव जिहाद माना जाता है। धारचूला इलाके में दो नाबालिग छात्राएं एक फरवरी को अचानक गायब हो गई थीं। इन दोनों लड़कियों को बाद में पुलिस ने बरेली में बरामद किया था। इस मामले में एक समुदाय विशेष के लड़कों गिरफ्तार भी किया गया था। पुरोला में भी 26 मई 2023 को स्थानीय लोगों ने दो युवकों को एक नाबालिग लड़की को भगाने के आरोप में पकड़ा था।
इस मामले में स्थानीय लोगों ने जिला मुख्यालय तक विरोध प्रदर्शन किया था। बाद में पुरोला के व्यापारियों ने बाहरी लोगों को उत्तराखंड से चले जाने की धमकी भी दी थी जिसकी वजह से वर्ष 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड में एक समुदाय विशेष के लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया था। इनमें कुछ ऐसे लोग भी थे जो उत्तराखंड में पिछले 40-42 साल से रह रहे थे। नए मामले में धारचूला से जिन 91 लोगों को उत्तराखंड से बाहर जाने को कहा गया है, उसमें बारह लोग हिंदू हैं। उत्तराखंड में यदि यही हालात रहे और यह आग दूसरे जिलों में भी फैल गई, तो इसका परिणाम यह होगा कि पूरे उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि इलाकों से बसने वाले लोगों को परेशानी होगी।
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प्रेम के नाम पर भोली भाली लड़कियों को फंसाना, उन्हें भगा ले जाना या फिर उनके साथ दुर्व्यवहार करना, कतई जायज नहीं है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन इस आक्रोश का दूसरा पहलू भी है। यदि किसी समुदाय के कुछ लोगों के अपराध की सजा यदि पूरे समुदाय को दी जाए, तो शायद यह गलत होगा। यदि उत्तराखंड में सिर्फ उत्तराखंडियों को ही रहने और व्यापार करने की इजाजत दी जाएगी, तो फिर दूसरे राज्यों के लोगों को परेशानी उठानी पड़ेगी।
यदि यही रवैया हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली जैसे राज्यों के लोग अख्तियार कर लें, तो देश की क्या स्थिति होगी। कुछ साल पहले तक महाराष्ट्र में भी ऐसे ही स्वर गूंजते थे। मराठी मानुष के नाम पर उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा से जाकर वहां बसे लोगों के साथ स्थानीय लोग दुर्व्यवहार करते थे, तब सबको बुरा लगता था। अपराधी कहीं का भी हो, किसी भी समुदाय का हो, बख्शा नहीं जाना चाहिए। लेकिन अपराधी की जाति और धर्म के नाम पर पूरी जाति और धर्म के लोगों को सजा देना, शायद सही नहीं है। कुछ भी हो, लेकिन यह भारतीयता तो कतई नहीं है। हमें भारतीयता की हर हालत में रक्षा करनी चाहिए।
-संजय मग्गू
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