हरियाणा के चिरायु आयुष्मान भारत योजना और आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के कार्ड धारकों के सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। प्रदेश के निजी अस्पतालों ने इन कार्डधारकों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। प्रदेश में आयुष्मान योजना के 29 लाख 85 हजार और चिरायु योजना के 74 लाख 90 हजार कार्डधारक हैं। आज जिन कार्डधारकों को इलाज की आवश्यकता है, वे यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वे अब अपना या अपने परिवार का इलाज कराने कहां जाएं। अस्पतालों ने अस्पताल आने वाले मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। दरअसल, इसका कारण यह है कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश के निजी अस्पतालों का तीन सौ करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है।
यह वह रकम है जो आयुष्मान भारत और चिरायु योजना के मरीजों का इलाज करने की वजह से प्रदेश सरकार पर बकाया है। गुरुवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की प्रांतीय इकाई ने सरकार को पत्र लिखकर 24 घंटे की मोहलत दी थी और कहा था कि यदि सरकार ने बकाया भुगतान नहीं दिया, तो वह मरीजों का इलाज करना बंद कर देंगे। शनिवार से प्रदेश के निजी अस्पतालों ने मरीजों को लौटाना शुरू कर दिया है। ऐसी हालत में वे मरीज जो गंभीर हालत में हैं, उनके सामने जीवन मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है। वे सरकारी योजनाओं के सहारे ही हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाने वाले वे लोग हैं जिनकी आय सालाना 1.80 लाख रुपये से कम है।
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यदि इनके पास पैसे होते, तो यह लोग अपना इलाज कहीं भी करा सकते थे। आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना और चिरायु आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत ही इसलिए की गई थी ताकि गरीब और अंत्योदय परिवारों को बीमारी के वक्त उनकी मदद की जा सके। सरकार इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है कि गंभीर बीमारी होने पर गरीब लोग पूरी तरह असहाय होते हैं। पांच लाख रुपये तक इलाज की सुविधा का लाभ देश के लाखों लोगों ने उठाया है।
केंद्र और प्रदेश सरकार ने अरबों रुपये इस मद में निजी अस्पतालों को भुगतान भी किया है। लेकिन आज हरियाणा के इन दोनों योजनाओं कार्ड धारकों के सामने जो स्थिति है, वह काफी खतरनाक है। प्रदेश सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निजी अस्पतालों का भुगतान करके उन्हें इन मरीजों का तत्काल इलाज शुरू करने के लिए मनाना चाहिए। निजी अस्पतालों को भी यह समझना चाहिए कि मरीजों को वापस करके वे अपने पेशे का सम्मान नहीं कर रहे हैं। उन्हें सरकार से बकाया वसूलने के लिए सख्त रवैया अपनाना चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने या उनका उपचार करने से मना करना ठीक नहीं है। यह मानवता के खिलाफ है।
-संजय मग्गू
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