Friday, November 22, 2024
15.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeHARYANAFaridabadलापरवाही या भ्रष्टाचार: बारूद के ढेर पर बैठी स्मार्ट सिटी को हादसों...

लापरवाही या भ्रष्टाचार: बारूद के ढेर पर बैठी स्मार्ट सिटी को हादसों का इंतजार

Google News
Google News

- Advertisement -

राजेशदास

शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम एक तरफ सरकारी एजेंसियों द्वारा सरकारी धन का दुरूपयोग किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ निजी कंपनियों द्वारा नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत से नियम को ताक पर रख विभिन्न तरह की अंडर ग्राउंड लाइनें डाली जा रही है। कंपनियों द्वारा राजस्व देने से बचने के लिए नगर निगम को दिए नक्शे के मुताबिक लाइनें नहीं डाली जाती। नक्शा सही न होने से शहर में आए दिन पीएनजी लाइनों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। गनीमत है कि यह हादसे मुख्य सडकों के आस पासहो रहे हैं। यदि ऐसा हादसा भीड़ भाड़ वाले इलाके में हो गया तो बड़ी घटना भी हो सकती है। पीएनजी कंपनी द्वारा मार्कर के रूप में लगाए गए पत्थर भी टूट चुके हैं, जिन्हें दोबारा लगाने का प्रयास नहीं किया। वहीं दूसरी तरफ विभिन्न तरह की लाइनें डाल रही कंपनियां सरकार को राजस्व का भी भारी चूना लगा रही हैं। खुदाई नियमों के विपरित तो की ही जा रही है, काम पूरा होने के बाद मरम्मत भी नहीं करवाई जाती।

लापरवाही से हो रहे हैं हादसे

अंडरग्राउंड पीएनजी लाइनों के कारण शहर में कई हादसे हो चुके हैं। गत जनवरी में भारत कालोनी में पीएनजी लाइन डालने के दौरान कुछ मजदूर लाइन खुदाई कर रहे थे। तभी एक मकान की दीवार गिरने से नंदन शाह नामक मजदूरकी  मौत हो गई। करीब डेढ़ साल पहले सारन चौक पर सीवर लाइन की खुदाई के दौरान लाइन फटने से पीएनजी गैस तेजी से लीक हो रही थी। गनीमत था कि आग नहीं लगी। वर्ना कोई बड़ा हादसा भी हो सकता था। क्योंकि आसपास घनी आबादी है और कई बिजली के ट्रांसफार्मर लगे हैं। यहीं खुदाई के दौरान पानी लाइन फटने से पांच दिनों तक लोगों को पानी के लिए तरसने को मजबूर हो रहे थे। खुदाई के दौरान पीएनजी लाइनों में आग लगने की भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन इन हादसों से भी सबक नहीं लेते।

नियमों के विपरित होती है खुदाई

नियमों के मुताबिक किसी भी अंडर ग्राउंड लाइन को डालने के लिए मैन्युअली खुदाई नहीं की जा सकती है। इसके लिए मशीनों से ही खुदाई करने का प्रावधान है। मशीन के इस्तेमाल का खर्च काफी ज्यादा होने से कंपनियां दिखावे को एक आध जगह मशीन से खुदाई करवाती है। अन्य स्थानों पर मजदूरों को खुदाई कर डालते आसानी से देखा जा सकता है। अंडरग्राउंड केबल जमीन में डेढ़ मीटर गहराई पर डाली जानी चाहिए। लेकिन कंपनियों द्वारा ज्यादातर एक मीटर से भी कम गहराई पर लाइनें डाली जा रही है। वहीं निजी कंपनियों द्वारा लाइन डालने का काम नगर निगम के अधिकारियों की देख रेख में किया जाना चाहिए। लेकिन इन कामों के दौरान नगर निगम के संबंधित अधिकारी अपने स्वार्थ की वजह से न तो कभी मौके पर जाते हैं और न ही कंपनियों की कार्य प्रणाली पर नजर रखते हैं।

सरकार को राजस्व का नुकसान

नियम के मुताबिक सरकारी संपति 99 साल की लीज पर दी जाती है। अंडरग्राउंड लाइनें डाल रही कंपनियां अपने बॉक्स सरकारी जमीनों लगाती हैं। लेकिन नगर निगम ने कंपनियों को बॉक्स लगाने के लिए जगह पांच साल की लीज पर दी जा रही है। इसका खुलासा एक संघर्ष संस्था के अध्यक्ष अजय बहल की आरटीआई के जवाब से हुआ था। सेक्टर नौ में 13 बॉक्स के लिए इस्तेमाल जमीन के सर्कल रेट के मुताबिक एक साल की लीज 6.42 लाख रुपये बनती है। जिसका निगम द्वारा दस प्रतिशत सालाना लिया जाता है। पांच साल की लीज से सरकार को राजस्व की हानी हो रही है। यदि निगम 50 सालकी लीज वसूलें तो राजस्व काफी बढ़ जाएगा। वहीं दूसरी तरफ कंपनियां सडकों पर सीधी लाइनें डालने का शुल्क निगम को दिया जाता है। इसके अलावा अन्य शुल्कों की भी चोरी होती है।

किसी बड़े हादसे का है इंतजार

समाज सेवी गुरमीत सिंह देओल का कहना है कि जिले में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है। बिना योजना और लापरवाही से हो रहे काम कभी भी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। निगम की लापरवाही से कंपनियों द्वारा डाली जा रही अंडर ग्राउंड लाइनों के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। लगता प्रशासन को किसी हादसे का इंतजार है।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments