28 अप्रैल को सीतापुर में हुई बसपा की चुनावी रैली मंगलवार देर रात तक बसपा के नेशनल को-आर्डिनेटर और उत्तराधिकारी रहे आकाश आनंद के लिए भारी पड़ गई। मायावती ने उन्हें न केवल नेशनल को-आर्डिनेटर पद से हटा दिया, बल्कि फिलहाल उत्तराधिकारी पद से भी पूर्ण परिपक्व होने तक हटा दिया गया है। वर्ष 2017 में लंदन से पढ़ाई खत्म करके आने वाले आकाश आनंद को मायावती ने ही बसपा के कार्यक्रमों में भाग लेने को प्रोत्साहित किया था। भतीजा होने के नाते स्वाभाविक है कि वह आकाश आनंद को लेकर कुछ ज्यादा ही प्रोटेक्टिव थीं। यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों से मायावती की बसपा को लेकर सक्रियता काफी कम हो गई थी। इसका कारण उम्र का बढ़ना है। बढ़ती उम्र के चलते होने वाली समस्याओं से जूझ रही मायावती अपने भतीजे को धीरे-धीरे बसपा की बागडोर सौंप कर निश्चिंत हो जाना चाहती थीं। बसपा में भी आकाश आनंद के सक्रिय होने से कार्यकर्ताओं में नया जोश पैदा हुआ था।
वे युवा बसपा कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय भी हो रहे थे। उनकी आक्रामक भाषण शैली को कार्यकर्ताओं और समर्थकों में पसंद भी की जा रही थी, लेकिन 28 अप्रैल को सीतापुर में उनके द्वारा दिए गए बयान ने मायावती को चौकन्ना कर दिया। सीतापुर में उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सरकार की तालिबान से तुलना करते हुए आतंकवादियों की सरकार बताया था। यही नहीं, उन्होंने बसपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों से जूतों से जवाब देने का आह्वान किया था। इस आक्रामक बयान के बाद से ही मायावती ने एक तरह से आकाश के कार्यक्रमों पर सेंसर लगा दिया था। उनकी मई में प्रस्तावित रैलियों को रद्द कर दिया गया। इस संदर्भ में मीडिया को परिवार के किसी सदस्य के बीमार होने की बात कहकर टाल दिया गया था। इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है कि बसपा को कांशीराम और मायावती ने बड़ी मेहनत और संघर्ष के साथ खड़ा किया था। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर अगर बसपा काबिज हुई तो इसके पीछे मायावती की दूरदर्शी नीतियां और कांशीराम की राजनीतिक समझ थी।
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मायावती ने हमेशा इस बात की गुंजाइश राजनीतिक क्षेत्र में बनाए रखी कि यदि जरूरत हो और दलितों का भला हो रहा हो, तो वह किसी भी दल से समझौता कर सकें। गेस्ट हाउस कांड के बाद भी दलितों की भलाई के नाम पर भी उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया और दस सीटें जीतने में कामयाब रहीं। यह भी सही है कि इन दिनों बसपा का ग्राफ नीचे जा रहा है। बसपा को एक तेजतर्रार युवा नेता की जरूरत है जो युवाओं में जोश और जूनून पैदा कर सके। जो बसपा के गिरते ग्राफ को ऊपर चढ़ा सके। आकाश आनंद में मायावती ने यह संभावना देखी थी, लेकिन बहुत तेज रफ्तार से दौड़ने की कोशिश में आकाश ने अपना ही नुकसान कर लिया। अगर आकाश भाषागत मर्यादा कायम रख सकें, तो अब भी वे बसपा को नई ऊंचाई प्रदान कर सकते हैं। बस उन्हें जुबान पर काबू रखना होगा।
-संजय मग्गू
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