Monday, December 23, 2024
13.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiबढ़ता तापमान, घटता जलस्तर और परेशान आबादी

बढ़ता तापमान, घटता जलस्तर और परेशान आबादी

Google News
Google News

- Advertisement -

दिल्ली का पारा बुधवार को 52.9 तक पहुंचा था या नहीं, इसकी अब जांच होगी। ठीक है, जांच लीजिए। दिल्ली में पानी की किल्लत को झेलती महिलाओं, पुरुषों ने प्रदर्शन किया। पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है, नहाने और कपड़े धोने की तो बात न की जाए। प्रदर्शन करने वाले लोग विरोधी दलों के नेता और कार्यकर्ता हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि हमारे यहां पानी की दिक्कत के लिए हरियाणा सरकार जिम्मेदार है। यदि पंजाब में अपनी पार्टी की सरकार न होती, तो इस मामले में पंजाब को भी घसीटा जाता। तब दिल्ली की आप सरकार कहती कि हमारे यहां पानी की किल्लत के लिए हरियाणा और पंजाब सरकार जिम्मेदार है।

पानी के मामले में हरियाणा सरकार पंजाब पर आरोप लगाती है। दोनों सरकारें एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करती हैं और जिसे वास्तव में परेशानी होती है, वह पहले तो तमाशा देखती है, फिर अपने कष्ट को भूलकर संतोष कर लेती है। वह कर भी क्या सकती है? उसके पास कोई विकल्प भी तो नहीं है। उसके वश में होता, वह हर गली-मोहल्ले में साफ पानी से लबालब भरी हुई एक नदी पैदा कर लेता। यदि प्रकृति ने नदी, पहाड़, पेड़ पौधे, बिजली, पानी आदि को जीवन देने या बनाने की क्षमता दी होती, तो आज हालात इतने बुरे नहीं होते। जब तक मानव समाज के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन में बाजार का प्रवेश नहीं हुआ था

यह भी पढ़ें : अब रूठों को मनाने की तैयारी में भाजपा और हरियाणा सरकार

तब तक सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। जब से बाजार ने अपनी टांग अड़ाई, प्रकृति का निर्मम दोहन और उत्पीड़न शुरू हो गया। मात्र सौ-सवा सौ साल में ही समाज का ढांचा ही बदल गया। बाजार और कारोबार ने प्रकृति का इतना दोहन-शोषण किया कि प्रकृति ही बागी हो गई। आज जो मई में ही पारा 50, 51, 52 डिग्री सेल्सियस पहुंच रहा है, यह उसी का दुष्परिणाम है। यदि प्रकृति में ग्रीन हाउस गैंसो का उत्सर्जन नहीं रुका, तो निकट भविष्य में गर्मी के दिनों में पारा 58-60 तक जाएगा। तब न केवल मानव सभ्यता संकट के दौर से गुजरेगी, बल्कि भावी सभ्यता पर भी संकट के बादल मंडराएंगे। जो अभी हालात हैं, उसके अनुसार गर्मियों में अधिकतम तापमान साठ तक पहुंचने में चालीस-पचास ही लगेंगे।

इसी साल चिकित्सकों ने आशंका जाहिर की है कि यदि दो-तीन दिन ऐसी ही गर्मी पड़ती रही, तो कुछ लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अंगों का काम करना बंद हो सकता है, त्वचा कैंसर के मामले बढ़ सकते हैं, यदि जलवायु परिवर्तन को रोका नहीं गया। जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे विश्व में जल संकट खड़ा हो रहा है। कहीं पीने को पानी नहीं मिल रहा है, तो कहीं इतना पानी है कि वह पानी ही उनके लिए समस्या बन रहा है। पृथ्वी के कुछ इलाकों में नदियां, नाले और अन्य जल स्रोत सूख गए हैं। अत्यधिक दोहन के चलते जल स्तर इतना नीचे चला गया है कि वहां से पानी निकालना भी एक समस्या है। वैसे भी जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जाड़े के दिनों में पहाड़ों पर बर्फ पड़ ही नहीं रही है। थोड़ी बहुत जो बर्फ पड़ती है, वह भी टिकती नहीं है। यदि पर्वतीय नदियों को सूखने से बचाया नहीं गया, तो पर्वतीय इलाकों के साथ मैदानी इलाकों पर भी गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Last job of 2024

Most Popular

Must Read

Recent Comments