नौ जून को जब नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, तो उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। लेकिन उनके चेहरे पर निराशा का भाव था। दुख साफ झलक रहा था। उत्तर प्रदेश में भाजपा की करारी हार का ठीकरा किसके सिर पर फोड़ा जाएगा, अभी यह तय नहीं है। लेकिन जैसे योगी आदित्यनाथ को इसका भान हो चुका है। राजनीतिक गलियारे में यह सवाल उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन की झोली में आई 43 सीटों के लिए जिम्मेदार कौन है? उत्तर प्रदेश में भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को सिर्फ 36 सीटें ही हासिल हुईं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में मिली करारी शिकस्त के पीछे दो फैक्टर बहुत महत्वपूर्ण थे।
एक टिकट बंटवारा और दूसरा बुलडोजर न्याय। पिछली लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जीत का सेहरा सीएम योगी के सिर पर बांधा गया था, तो स्वाभाविक है कि हार का ठीकरा भी उन्हीं के सिर पर फोड़ा जाएगाा। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में थोड़ी सी भी रुचि रखने वाला इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि इस बार टिकट बंटवारे में सीएम योगी आदित्यनाथ की तनिक भी नहीं चली। ज्यादातर सीटों का फैसला केंद्रीय नेतृत्व ने किया। गुजरात लॉबी ही तय कर रही थी कि किसको कहां से टिकट दिया जाएगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ कई सीटों पर दूसरों को लड़ाना चाहते थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। प्रदेश के कार्यकर्ताओं ने भी गुजरात लॉबी के सामने अपने को उपेक्षित महसूस किया। आरएसएस कार्यकर्ता चुनाव के पहले चरण से ही एक तरह से निष्क्रिय थे। हार का दूसरा प्रमुख कारण बना बुलडोजर।
पिछली बार जब लोकसभा और विधानसभा के परिणाम सामने आए तो भाजपा कार्यकर्ता जश्न मनाने के लिए लखनऊ भाजपा कार्यालय पर बुलडोजर लेकर आए थे। बाद में भी जब-जब प्रदेश में बुलडोजर चला, मीडिया और भाजपा आईटी सेल ने इस कार्रवाई को महिमा मंडित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। न्यायपालिका का फैसला आने से पहले ही दंड देने का यह तरीका जनता ने पसंद नहीं किया। प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के तमाम नेता अपनी रैलियों, सभाओं में बुलडोजर की महिमा बखानते रहे। एक चुनावी रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि विपक्षी कांग्रेस और सपा को योगी आदित्यनाथ से ट्यूशन लेने की जरूरत है कि बुलडोजर कहां चलाया जाना चाहिए।
इसका उत्तर प्रदेश में प्रभाव नकारात्मक ही पड़Þा। लोगों में भय पैदा हुआ। सपा और कांग्रेस ने इस भय को हवा दी। इसके अलावा बहुत से दूसरे कारण भी थे भाजपा की हार के। इन सबके बावजूद उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारे में भाजपा की लोकसभा में करारी हार के लिए सीएम योगी को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और बृजेश पाठक जरूर मौज में हैं क्योंकि इनसे कोई कुछ पूछने वाला नहीं है।
-संजय मग्गू