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खेल हो या उद्योग, हरियाणा की महिलाओं ने हमेशा रचा इतिहास

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रविवार का दिन पूरे देश के लिए सुखद रहा। पेरिस ओलंपिक में अपने देश के लिए पहला पदक जीतकर झज्जर जिले के गोरिया गांव की मनु भाकर ने इतिहास रच दिया। मनु भाकर को हालांकि कांस्य पदक ही हासिल हुआ, लेकिन यह पदक इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी महिला ने शूटिंग में पहली बार देश के लिए पदक जीता है। यह हरियाणा के लिए अत्यंत गौरव की बात है। वैसे खेलों में अब तक प्रदेश के कई खिलाड़ियों ने देश के लिए सभी तरह के पदक जीते हैं। प्रदेश सरकार ने जिस तरह खेलों को महत्व दिया है, खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए सुविधाएं प्रदान की हैं, खेल का माहौल पैदा किया है, उस हालत में यही परिणाम निकलना था।

इस बार के पेरिस ओलंपिक में हरियाणा के 25 में से कई खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद है। नीरज चोपड़ा जरूर भाला फेंक में पदक जीतेंगे, ऐसा सबको विश्वास है। भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। वैसे भी खेलों में देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को प्रदेश सरकार भरपूर इनाम देती है। उन्हें अच्छी सरकारी नौकरी के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी दिया जाता है। मनु भाकर को भी केंद्र और राज्य सरकार अच्छा पारितोषिक देगी पेरिस से लौटने पर। रविवार का दिन इस मायने में भी प्रदेश के लिए अच्छा रहा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक के हथकरघा उद्योग की प्रशंसा अपने मन की बात में की। वाकई यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि उसके उद्योग को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। रोहतक के लाखनमाजरा गांव की महिलाओं द्वारा शुरू किए गए ब्लॉक प्रिंटिंग से तैयार किए गए कपड़ों की देश और विदेश में बहुत मांग है।

दरअसल, प्रदेश सरकार की नीतियों के चलते ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में जागरूकता आई है। अब वे भी जागरूक होकर न केवल स्वयं आगे बढ़ रही हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी आगे बढ़ने में सहायता कर रही है। रोहतक के लाखनमाजरा गांव को ही लीजिए। यहां की लगभग ढाई सौ महिलाएं उन्नति समूह से जुड़कर समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं। यहां की महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न केवल ब्लॉक प्रिंटिंग और रंगाई का प्रशिक्षण लिया, बल्कि खुद पारंगत होने के बाद दूसरों को भी यह कला सिखाई। नतीजा यह हुआ कि यह उद्योग आगे बढ़ता रहा। लाखनमाजरा की मानता शर्मा बताती हैं कि यह काम चालीस हजार रुपये से शुरू हुआ था। इतनी छोटी सी पूंजी से शुरू हुआ काम पहले तो घाटे में चला, लेकिन बाद में इसने गति पकड़ी तो फिर पीछे मुड़कर देखने की नौबत ही नहीं आई। आज इन महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद विदेशों में काफी लोकप्रिय हैं। आस्ट्रेलिया में इनके उत्पादों की भारी मांग है।

-संजय मग्गू

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