जब आप बिकिनी(Bikini Fact: ) का नाम सुनते हैं, तो शायद आपके मन में समुद्र किनारे आराम करती हुई एक आकर्षक महिला की छवि उभरती हो, जिसे देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता है। फिल्मों में अभिनेत्रियों द्वारा बिकिनी पहनना अब आम हो गया है, और भारत में भी महिलाएं बीच पर बिकिनी पहनते हुए दिखाई देने लगी हैं। यह पोशाक, जो कभी सिर्फ स्विमसूट के रूप में जानी जाती थी, अब ग्लैमर की एक नई परिभाषा बन चुकी है। हालांकि, बिकिनी के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं, क्योंकि अक्सर लोग इसके बोल्ड अंदाज के अलावा और कुछ नहीं सोचते। आइए, जानते हैं बिकिनी से जुड़े उन पहलुओं के बारे में जो आपको हैरान कर सकते हैं।
Bikini Fact: बिकिनी के नाम की उत्पत्ति
1 जुलाई 1946 को अमेरिका ने बिकिनी अटोल नामक द्वीप समूह पर अपने पहले परमाणु बम का परीक्षण किया। यह विस्फोट काफी चौंकाने वाला था। ठीक चार दिन बाद, एक व्यक्ति ने पहली बार बिकिनी स्विमसूट को लॉन्च किया और उसे इस द्वीप का नाम इतना पसंद आया कि उसने अपने नए स्विमसूट का नाम “बिकिनी” रख दिया।
Bikini Fact:बिकिनी के आविष्कारक
आपको शायद लगे कि मॉडर्न बिकिनी का आविष्कार किसी फैशन डिजाइनर ने किया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। बिकिनी को बनाने वाले लुइस रीयर्ड (Louis Réard) एक कार इंजीनियर थे। उन्होंने एक बार समुद्र किनारे महिलाओं को देखा, जो अपने स्विमसूट को ऊपर की ओर रोल कर रही थीं ताकि उनके शरीर का ज्यादा हिस्सा टैन हो सके। यहीं से लुइस को छोटे स्विमसूट का आइडिया आया जो महिलाओं के शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से को ढके। 5 जुलाई 1946 को उन्होंने बिकिनी को पेश किया।
Bikini Fact:बिकिनी का प्राचीन इतिहास
भले ही लुइस रीयर्ड को मॉडर्न बिकिनी का आविष्कारक कहा जाता है, लेकिन बिकिनी जैसे वस्त्र हजारों साल पहले भी पहने जाते थे। बिकिनी का पहला संभावित चित्रण तुर्की के कातालहोयुक में कांस्य युग की बस्ती में पाया गया है। 5600 ईसा पूर्व के एक चित्र में एक देवी को दो तेंदुओं की सवारी करते हुए दिखाया गया है, जो बिकिनी जैसी ही पोशाक पहने नजर आ रही हैं। प्राचीन रोमनों को भी बिकिनी का शौक था। पुरातत्वविदों ने समुद्र तट पर बिकिनी पहने महिलाओं के दृश्य भी खोजे हैं।
दूसरे विश्व युद्ध और बिकिनी
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यूरोप और अमेरिका की सरकारों ने कपड़े पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे, जिससे स्विमसूट निर्माता भी प्रभावित हुए। युद्ध खत्म होने के बाद भी कपड़ों की कमी बनी रही। ऐसे में स्विमसूट निर्माताओं ने स्विमसूट को और भी छोटा बनाने का निर्णय लिया, जिससे बिकिनी का चलन बढ़ा।
पहली बिकिनी मॉडल
बिकिनी बनाने के बाद लुइस रीयर्ड को इसे प्रदर्शित करने के लिए एक मॉडल की जरूरत थी, लेकिन उन्हें कोई भी मॉडल इसके लिए तैयार नहीं हुई। अंत में उन्होंने पेरिस के एक कसीनो में काम करने वाली 19 साल की स्ट्रिपर मिशेलिन बर्नार्डिनी (Micheline Bernardini) को यह काम दिया।
वॉलीबॉल की यूनिफॉर्म
ओलंपिक में महिलाओं के बीच वॉलीबॉल खेल के लिए स्पोर्टी बिकिनी उनकी आधिकारिक यूनिफॉर्म बन चुकी है। 1996 से इसे लागू किया गया है। इसे सिर्फ आयोजकों ने नहीं बल्कि खिलाड़ी भी पसंद किया।
सबसे महंगी बिकिनी
2012 में सुसान रोसेन नाम की ज्वेलर ने दुनिया की सबसे महंगी बिकिनी बनाई, जिसमें 150 कैरेट के हीरे और प्लैटिनम जड़े हुए थे। इसकी कीमत लगभग 200 करोड़ रुपये थी। इसे पहली बार मॉडल और एक्ट्रेस मॉली सिम्स ने पहना था।