कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया(Karnatka CM: ) के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय टी जे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं पर आधारित है। आरोप है कि एमयूडीए ने 50:50 योजना के तहत अवैध तरीके से भूमि का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा, जिससे राज्य को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
Karnatka CM: मामले में पत्नी पार्वती का नाम
इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती का नाम भी सामने आया है। आरोप है कि पार्वती को 50:50 योजना के तहत बिना उचित प्रक्रिया के मैसूर के बाहरी इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। यह भूमि पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। इसके बाद एमयूडीए ने बिना अधिग्रहण किए देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी, और पार्वती को विजयनगर III और IV फेज में कुल 38,284 वर्ग फीट की 14 साइटें आवंटित कर दीं।
राजनीतिक तनाव बढ़ा
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब राज्यपाल ने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उनसे पूछा गया कि उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति क्यों न दी जाए। हालांकि, कर्नाटक सरकार ने एक अगस्त को राज्यपाल से नोटिस वापस लेने की सलाह दी, लेकिन राज्यपाल ने कानूनी विशेषज्ञों से राय लेकर मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी। भाजपा ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, और इसे लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।इस मामले में राज्यपाल ने मंत्रिपरिषद की राय भी मांगी थी, जिसके बाद गुरुवार को हुई बैठक में मंत्रिपरिषद ने राज्यपाल के निर्णय की आलोचना की और इसे चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास बताया। हालांकि, राज्यपाल ने अपनी कानूनी प्रक्रिया जारी रखी और मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी।