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पेंशन स्कीम का मामला बिगाड़ सकता है भाजपा का सियासी खेल

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केंद्र सरकार ने अभी कुछ ही दिनों पहले यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा की है जो अगले साल एक अप्रैल से लागू की जाएगी। केंद्र सरकार की इस घोषणा ने हरियाणा को एक नया मुद्दा प्रदान कर दिया है। विपक्षी दलों ने सैनी सरकार और भाजपा को यूपीएस को लेकर घेरना शुरू कर दिया है। कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस को लेकर जो प्रतिक्रिया दी है, वह या तो ठंडी है या फिर विरोध किया है। सरकारी आंकड़े के अनुसार हरियाणा में 2.70 लाख सरकारी कर्मचारी हैं। प्रदेश में डेढ़ लाख पेंशनर्स हैं। एक बात यह भी राजनीतिक हलकों में कही जा रही है कि प्रकारांतर से केंद्र सरकार ने मान लिया है कि नई पेंशन योजना में खामी थी। वह कर्मचारियों के हित में नहीं थी और इसे देश भर के केंद्रीय और राज्य कर्मचारी स्वीकार नहीं करेंगे। यदि ऐसा नहीं होता तो वह नई पेंशन योजना की जगह पर एकीकृत पेंशन योजना क्यों लेकर आती। विधानसभा चुनाव को लेकर अब यूपीएस का मामला तूल पकड़ने लगा है।

प्रदेश के कर्मचारियों ने तो यूपीएस को एक सिरे से नकार दिया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि उन्हें पुरानी पेंशन योजना के अलावा दूसरी कोई योजना स्वीकार नहीं है। कांग्रेस के प्रमुख चेहरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य कांग्रेस नेता अपनी रैलियों, जनसभाओं और कार्यक्रम में तो हर बार यही दोहराते हैं कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनते ही सबसे पहला काम पुरानी पेंशन योजना को लागू करना है। भाजपा प्रवक्ता सुदेश कटारिया ने एक नई बात कही है कि उनके मुताबिक पुरानी पेंशन योजना कांग्रेस सरकार ने बंद की थी। यदि कांग्रेस नेता कर्मचारियों के इतने ही हितैषी हैं, तो उन्होंने इस योजना को बंद क्यों की थी? यह सर्वविदित है कि पुरानी पेंशन योजना को केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रद करके नई पेंशन योजना लागू की थी।

प्रदेश में भाजपा सरकार के सामने दिक्कत यह है कि वह यूनिफाइड पेंशन योजना के लाभ गिनाते हुए थक नहीं रही है, लेकिन कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना की रट लगाए हुए हैं। पेंशनर्स और कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवार वालों को यदि जोड़ लिया जाए तो यह संख्या 15-17 लाख के आसपास पहुंचती है। इतनी बड़ी संख्या के मतदाताओं को नाराज करना कोई नहीं चाहता है।

विपक्षी दल जहां यूपीएस का विरोध करते हुए ओपीएस लागू करने की बात कह रहे हैं, वहीं भाजपा यूपीएस को कर्मचारियों के लिए सबसे अच्छा बता रही है। ऐसी स्थिति में यूपीएस एक सियासी मुद्दा बनता जा रहा है। एक सितंबर को पंचकूला में कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर राज्य स्तरीय रैली करने जा रहे हैं। कांग्रेस, आप जैसे दलों ने कर्मचारियों का समर्थन किया है।

-संजय मग्गू

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