झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता चंपई सोरेन (Champai Soren: )ने बुधवार को घोषणा की कि वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और अपने मंत्री पद से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन्होंने झारखंड के हित में लिया है और किसी भी स्थिति से डरने की बजाय संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।
Champai Soren: इसी हफ्ते अमित शाह से हुई थी मुलाकात
चंपई सोरेन ने इस सप्ताह की शुरुआत में नयी दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया। बुधवार को वह अपने बेटे के साथ रांची पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में समर्थकों ने उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा, “यह निर्णय झारखंड के भविष्य के लिए लिया गया है। मुझे संघर्षों की आदत है और मैं किसी भी स्थिति से भयभीत नहीं हूं।” जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उन पर नजर रखी जा रही है, तो उन्होंने कहा कि वह किसी भी परिस्थिति से डरते नहीं हैं। उनके इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह बुधवार को ही झामुमो और मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
हिमंत विश्व शर्मा का दावा,चंपई की हो रही थी जासूसी
इससे पहले, असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमंत विश्व शर्मा ने आरोप लगाया था कि पिछले पांच महीनों से चंपई सोरेन की अपनी ही सरकार की पुलिस उनकी जासूसी कर रही थी। शर्मा ने यह भी दावा किया कि दिल्ली के एक होटल में झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के दो उप निरीक्षकों को चंपई सोरेन पर नजर रखते हुए पकड़ा गया था।
दो फरवरी को चंपई सोरेन ने ली थी मुख्यमंत्री की शपथ
चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जब उनके पूर्ववर्ती हेमंत सोरेन ने धनशोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के डर से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।भाजपा में शामिल होने के निर्णय को लेकर चंपई सोरेन ने कहा कि वह आदिवासी पहचान और अस्तित्व को बचाने के लिए यह कदम उठा रहे हैं, जो बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर हो रही घुसपैठ के कारण संथाल परगना क्षेत्र में खतरे में है। उन्होंने कहा कि केवल भाजपा ही आदिवासियों के मुद्दों पर गंभीरता से काम कर रही है, जबकि अन्य पार्टियाँ वोट बैंक की राजनीति में लिप्त हैं।