हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची संशोधित कर दी गई है। चुनाव आयोग जहां अपनी तैयारियों में मशरूफ है, वहीं राजनीतिक दलों ने भी कमर कस ली है। आरोप-प्रत्यारोप से लेकर रैलियां और सभाएं जारी हैं। भूले-बिसरे अपराध और भ्रष्टाचार की घटनाओं को सामने लाकर विरोधी को शिकस्त देने की कोशिश की जा रही है। इस राजनीतिक खींचतान और उठापटक के बीच चुनाव आयोग अपने काम में लगा हुआ है। संशोधित सूची के मुताबिक प्रदेश में कुल 20224958 मतदाता हैं। सवा दो करोड़ मतदाताओं में से अकेले 46 फीसदी युवा मतदाता हैं। इन युवा मतदाताओं की उम्र 19 से 39 साल के बीच है। यह वह आयु वर्ग है जिसके लिए रोजगार सबसे बड़ी समस्या है। प्रदेश में जिस तरह बेरोजगारी फैली हुई है, उसको देखते हुए यही कहा जा सकता है कि एक अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में इन 46 फीसदी युवाओं की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।
यही वजह है कि युवाओं को लुभाने के लिए विपक्षी दल जहां बेरोजगारी को लेकर सरकार पर हमलावर हैं, वहीं युवाओं के लिए नई-नई योजनाएं पेश कर रहे हैं। भाजपा सरकार भी पूर्ववर्ती सरकार पर भेदभाव पूर्ण और भ्रष्ट तरीके से नौकरियां देने का आरोप लगा रही है। वहीं विपक्ष प्रतियोगी परीक्षाओं और भर्ती परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक होने का मामला उठा रहा है। इस बात में कतई शक नहीं है कि इस बार का विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों को लेकर लड़ा जाएगा। स्थानीय मुद्दों में बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की घटती आय प्रमुख हैं।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश में 27.9 प्रतिशत बेरोजगारी है। देश के सभी राज्यों की अपेक्षा हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। इस बात को सेंटर फार मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट में दर्ज की गई है कि हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से तीन गुना ज्यादा बेरोजगारी है। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में मनोहर लाल इस आंकड़े को खारिज कर चुके हैं। सीएम नायब सिंह सैनी ने पिछले दिनों प्रदेश के पचास हजार युवाओं को नौकरी देना का वायदा किया था। कुछ भर्तियों के लिए विज्ञापन तक जारी कर दिए गए थे।
कुछ मामले आचार संहिता की वजह से लटक गए तो कुछ पर कोर्ट ने अपना हथौड़ा चला दिया। वैसे सैनी सरकार को पूरा भरोसा है कि युवा मतदाता इस बार भी भाजपा को ही सरकार बनाने का मौका देंगे। बिना पर्ची और बिना खर्ची के पिछले दस साल तक सरकारी नौकरियां देने का दावा करने वाली भाजपा की आशा कितनी पूरी होती है, यह तो चार अक्टूबर को ही पता चलेगा। लेकिन इसमें कतई शक नहीं है कि इस बार प्रदेश के लाखों युवा मतदाता ही सरकार के भाग्य का फैसला करेंगे।
-संजय मग्गू