समय कभी एक जैसा नहीं रहता है। कुछ लोग जब जवान होते हैं, तो वे अपने आगे किसी को नहीं समझते हैं। अगर कोई बुजुर्ग दिख जाए तो वे उसकी कमजोरियों पर कभी खुलेआम, तो कभी मन ही मन हंसते हैं। घर के बूढ़े-बुजुर्ग को देखकर उन्हें ऊब महसूस होती है। लेकिन वे यह नहीं सोचते हैं कि यह बुजुर्ग भी कभी जवान रहा होगा। अगर कोई सोचता है कि सुख के दिन स्थायी हैं, तो वह गलत सोचता है। समय हर पल बदलता रहता है। जवानी भी एक न एक दिन बीत ही जाएगी। एक बार की बात है। किसी राज्य में एक संत आया।
उसके बारे में जानकारी मिलने पर उस राज्य का राजा उससे मिलने गया। संत को वह बड़े आदर के साथ अपने महल में ले गया और खूब सेवा की। कुछ दिन बाद संत ने चलते समय राजा को एक ताबीज देते हुए कहा कि यदि किसी दिन तुम्हें लगे कि अब मुसीबतें घटने का नाम नहीं ले रही हैं। तब तुम इस ताबीज में रखे कागज पर लिखे मंत्र को पढ़ लेना, तुम्हारा भला होगा। राजा ने उस ताबीज को गले में पहन लिया। संयोग से कुछ ही दिनों बाद पड़ोसी राज्य के राजा ने उसके राज्य पर हमला कर दिया। राजा बहादुरी से लड़े लेकिन हार गए।
उन्हें भागकर जंगलों में शरण लेनी पड़ी। एक दिन जिस गुफा में वे छिपे हुए थे, उसके पास उन्हें सैनिकों की पदचाप सुनाई दी। उन्हें लगा कि अब पकड़े जाएंगे। तभी उन्हें संत की बात याद आई। उन्होंने गले से ताबीज निकाला और तो उस कागज पर लिखा हुआ था-यह समय भी कट जाएगा। तभी उन्हें लगा कि पकड़ने आने वाले सैनिक दूर चले गए हैं। राजा गुफा से बाहर निकला। उसने अपने वफादार सैनिकों को इकट्ठा किया और उसने दुश्मन राजा पर हमला कर दिया। संयोग से इस बार राजा की जीत हुई और उसे अपना राज्य वापस मिल गयाा।
-अशोक मिश्र