श्रीलंका इस समय इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। भारत अपने पड़ोसी देश को संकट से उबारने के लिए लगातार सहायता प्रदान कर रहा है। इसी क्रम में, एक बार फिर भारत ने श्रीलंका के कठिन समय को पार करने के प्रयासों का समर्थन करने में अपनी भूमिका निभाने की इच्छा दोहराई है। कोलंबो में निर्माण, बिजली और ऊर्जा एक्सपो 2023 के उद्घाटन समारोह में भारत के उप उच्चायुक्त विनोद के जैकब ने कहा कि हाल के वर्षों ने भारत-श्रीलंका के बीच दोस्ती और सर्वांगीण सहयोग को मजबूत किया है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका की आर्थिक मदद करने के लिए अगर कोई सबसे पहले सामने आया तो वो भारत था। इस साल जनवरी में, श्रीलंका के वित्तपोषण और ऋण पुनर्गठन के लिए अपना समर्थन पत्र अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को सौंपने वाला पहला देश भारत ही था। उन्होंने कहा कि भारत आगे भी जापान और पेरिस क्लब के साथ ऋणदाता समिति के सह-अध्यक्ष के रूप में रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा।
इस साल मई में, ऋण देने वाले 17 देशों ने ऋण से निपटने के लिए श्रीलंका के अनुरोध पर चर्चा करने के लिए भारत, जापान और फ्रांस की सह-अध्यक्षता में एक आधिकारिक ऋणदाता समिति का गठन किया। बता दें, पेरिस क्लब प्रमुख ऋणदाता देशों के अधिकारियों का एक समूह है, जिसका काम कर्ज देने वाले देशों के सामने आने वाली भुगतान कठिनाइयों का स्थायी समाधान खोजना है।
जैकब ने कहा कि भारत की श्रीलंका को चार अरब डॉलर की वित्तीय और मानवीय सहायता आईएमएफ की कुल निधि सुविधा से कहीं अधिक है। गौरतलब है, विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण श्रीलंका पिछले साल अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट की चपेट में आ गया। सन1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद पहली बार सबसे खराब स्थिति से देश गुजर रहा है। ऐसे में, भारत ने अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति के अनुरूप पिछले साल लगभग चार अरब डॉलर की सहायता प्रदान की। जैकब ने कहा कि पिछले तीन वर्षों ने भारत और श्रीलंका के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंधों को प्रदर्शित किया है। इस साल जनवरी में विदेश मंत्री एस जयशंकर की श्रीलंका की सफल यात्रा ने बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में निवेश के माध्यम से आगे सहयोग के रास्ते खोले हैं।