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सैलजा की नाराजगी दूर होने से कांग्रेसियों को मिली राहत

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संजय मग्गू
कांग्रेस नेताओं के लिए यह सबसे बड़ी राहत की बात है कि पार्टी की सबसे बड़ी दलित नेत्री सैलजा की नाराजगी दूर हो गई है। सैलजा ने कहा है कि वह कांग्रेस की सच्ची सिपाही हैं। वह किसी भी हालत में कांग्रेस छोड़ने वाली नहीं हैं। उनके इस बयान ने कांग्रेसी नेताओं को चैन की सांस लेने का मौका दिया है। कांग्रेस में हुड्डा बाप-बेटे का वर्चस्व साफ नजर आता है। कांग्रेस हाईकमान ने भी हुड्डा परिवार को महत्व दिया है और सत्तर-बहत्तर सीटों पर उनके ही समर्थक नेताओं को विधानसभा का टिकट दिया है। इसके बावजूद सैलजा का कांग्रेस में कम महत्व नहीं हैं। सैलजा को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का वफादार माना जाता है। गांधी परिवार हरियाणा की राजनीति में सैलजा को सबसे ज्यादा महत्व देता है। यही वजह है कि जब कम सीटें मिलने की वजह से सैलजा के नाराज होने और निष्क्रिय होकर बैठ जाने की बातें कांग्रेस हाईकमान तक पहुंची, तो उन्होंने हुड्डा को साफ संदेश भिजवाया कि कांग्रेस अपने वरिष्ठ दलित नेता को किनारे किया जाना और अपमान करने जैसी बातों को सहन नहीं करेगी। पार्टी हाई कमान का संदेश मिलते ही कुमारी सैलजा को मनाने का प्रयास शुरू हो गया और अब मीडिया में यह खबर तेजी से फैल रही है कि सैलजा मान गई हैं। उन्होंने भाजपा या दूसरी पार्टी में जाने की बात से इनकार किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस उनके खून में है। भाजपा और दूसरे दल उनको लेकर भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने भाजपा में शामिल होने की बात को सिरे से इनकार करते हुए कहा कि मैं डिप्टी सीएम नहीं बनूंगा। मेरा मुख्यमंत्री पद का दावा अभी बरकरार है। मुख्यमंत्री पद का फैसला कांग्रेस हाई कमान करता है, इसलिए चुनाव जीतने के बाद पार्टी आलाकमान जो भी फैसला करेगा, वह उन्हें स्वीकार होगा। दरअसल, सैलजा की नाराजगी कांग्रेस के लिए संकट का कारण बन रही थी। सैलजा की उपेक्षा का प्रचार करके भाजपा प्रदेश की दो दर्जन से अधिक सीटों पर प्रभाव डालने वाले दलितों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही थी। वैसे भी कुमारी सैलजा का सिरसा, अंबाला, पंचकूला, फतेहाबाद के कई इलाकों में अच्छा प्रभाव है। प्रदेश के दलितों पर सैलजा का प्रभाव कम नहीं है। यही वजह है कि भाजपा सैलजा की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर कांग्रेस को दलित विरोधी साबित करने का प्रयास कर रही थी। वहीं कांग्रेस में दलित वोटरों के खिसक जाने का खतरा पैदा हो गया था। यही वजह है कि सैलजा को मनाया गया। तभी पिछले काफी दिनों से निष्क्रिय रहने वाली सैलजा ने अपनी चुप्पी तोड़ी और किसी दूसरे दल में जाने की बात को खारिज करते हुए अपने को कांग्रेस की सच्ची सिपाही घोषित किया। सैलजा के बयान से हुड्Þडा परिवार के घुटते दम को थोड़ी सी आक्सीजन मिली है।

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