दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी और आम आदमी पार्टी (ATISHI KEJRIWAL: ) के नेता अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ मानहानि के मामले को खारिज करने से इंकार कर दिया गया था। यह मामला कथित रूप से कुछ समुदायों के 30 लाख मतदाताओं के नामों को मतदाता सूची से हटाने के बारे में की गई टिप्पणियों पर आधारित है।
ATISHI KEJRIWAL: 2 सितंबर को आदेश को दी गई थी चुनौती
शुक्रवार को न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने बीजेपी नेता राजीव बब्बर की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर की उन दलीलों का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया कि उनकी कैविएट का उल्लेख ऑफिस रिपोर्ट में नहीं किया गया और उन्हें याचिका का जवाब दाखिल करने में देरी हुई क्योंकि याचिका की प्रति उन्हें गुरुवार शाम को मिली थी। पीठ ने मामले को सोमवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया। आतिशी और केजरीवाल की ओर से अदालत में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि वह इस मामले पर 30 सितंबर को बहस कर सकते हैं। आतिशी और केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2 सितंबर के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके और अन्य AAP नेताओं के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से इंकार कर दिया गया था। यह कार्यवाही उन पर बीजेपी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने और अनुचित राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई टिप्पणियों के कारण चल रही है।
केजरीवाल का दावा, AAP नेताओं ने बब्बर या उनकी पार्टी के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया
हाई कोर्ट ने कहा था कि इन टिप्पणियों से प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि यह “मानहानिपूर्ण” थीं और बीजेपी को बदनाम करने के इरादे से की गई थीं। कोर्ट ने आतिशी, केजरीवाल, पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार गुप्ता और AAP नेता मनोज कुमार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था और उन्हें 3 अक्टूबर को ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत अपराधों के लिए जारी समन आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। AAP नेताओं ने सत्र न्यायालय के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट के उन्हें आरोपी के रूप में तलब करने के निर्णय को बरकरार रखा गया था।बब्बर ने भाजपा की दिल्ली इकाई की ओर से यह मानहानि शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें AAP नेताओं पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने भाजपा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने दावा किया कि दिसंबर 2018 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में AAP नेताओं ने आरोप लगाया था कि भाजपा के निर्देश पर चुनाव आयोग ने बनिया, पूर्वांचली और मुस्लिम समुदायों के 30 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए थे। केजरीवाल और अन्य आरोपियों ने दावा किया है कि ट्रायल कोर्ट यह समझने में विफल रही कि उनके खिलाफ कोई अपराध, चाहे वह मानहानि का हो या अन्यथा, साबित नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि AAP नेताओं ने बब्बर या उनकी पार्टी के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया था।