संजय मग्गू
हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम एकदम चौंकाने वाले रहे। एक बार फिर एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए। चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाने वाला एग्जिट पोल का तरीका अवैज्ञानिक और अतार्किक होता है। लगभग सभी एग्जिट पोल्स ने प्रचंड बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनने और भाजपा को तीसरी बार सरकार न बनाने का मौका मिलने की बात कही थी। लगभग ऐसा ही छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान भी एग्जिट पोल्स ने भविष्यवाणी की थी, जो पूरी तरह गलत साबित हुए थे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को अपनी सरकार से हाथ धोना पड़ा। पिछले कुछ सालों में जिस तरह एग्जिट पोल्स के नतीजे हर बार गलत साबित हो रहे हैं, उसको देखते हुए जनता और उन दलों को भी, जिनको यह जीता हुआ बताते हैं, विश्वास नहीं कर पाते हैं। खैर, भाजपा ने इस बार पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली है। भाजपा को हैट्र्कि बनाने से रोकने की आशा में बैठी कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लगा है। मतगणना शुरू होने के बाद जिस तरह कांग्रेस को बढ़त दिखाई गई, उससे एक बार तो यही लगा था कि हरियाणा में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा, लेकिन दूसरे-तीसरे चरण की मतगणना के बाद एकाएक पासा पलटा और कांग्रेस पिछड़ती गई। अब जब कांग्रेस को सत्ता से दूर रहना पड़ रहा है, ऐसी स्थिति में कांग्रेस को खुले मन से अपनी कमियों की समीक्षा करनी चाहिए। उससे कहां चूक हुई, इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। प्रदेश में मतदान से पहले जिस तरह किसान, पहलवान और नौजवान जैसे मुद्दों पर लहर चलने की बात कही जा रही थी, वह सब कुछ तो चुनाव परिणाम में दिखाई ही नहीं दिया। कहा तो जा रहा था कि किसान भाजपा से बहुत नाराज हैं। रोज कहीं न कहीं से भाजपा नेताओं के विरोध और गांव में न घुसने देने की घटनाएं भी आती रहती थीं, लेकिन यदि चुनाव परिणाम का विश्लेषण किया जाए, तो किसानों के विरोध का कोई प्रभाव नजर नहीं आता है। यदि ऐसा होता तो भाजपा को इतनी सीटें मिलने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। इसका मतलब यह है कि सीएम नायब सिंह सैनी की 24 फसलों पर दी गई एमएसपी पूरी तरह कामयाब रही। यह ठीक है कि जुलाना से कांग्रेस प्रत्याशी विनीता फोगाट चुनाव जीतकर विधायक बन गई हैं, लेकिन महिला खिलाड़ियों के मान-सम्मान को लेकर भरा गया गुब्बारा भी फूट गया। अब जब चुनाव परिणाम आ चुके हैं, कांग्रेस को एक बार फिर अपनी रणनीतियों पर विचार करना होगा। उसे चुप बैठने की जगह अभी से जनता के बीच उतरकर उनके दिलों में अपनी पैठ बनानी होगी। यदि वे ऐसा करते हैं, तो शायद अगली बार उन्हें मौका मिले। हां, पराजय को भी सहर्ष स्वीकार करके अपने कर्म में रत होने वाला ही जीवन में सफल होता है।
संजय मग्गू