Friday, January 3, 2025
16.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiचंद्रबाबू नायडू और एमके स्टालिन के इरादे क्या हैं?संजय मग्गू

चंद्रबाबू नायडू और एमके स्टालिन के इरादे क्या हैं?संजय मग्गू

Google News
Google News

- Advertisement -

दक्षिण भार के दो राज्य तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने अब अपनी आबादी बढ़ाने का फैसला किया है। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन तो हर दंपति को 16 बच्चे पैदा करने की सलाह दे रहे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तो यहां तक कहा कि उनकी सरकार दो से अधिक बच्चों वाले परिवार को ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने का अधिकार देने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या दक्षिण राज्यों की आबादी घट रही है? क्या हमारे देश में भी आबादी स्थिरता की ओर बढ़ रही है। शायद अभी नहीं। कुछ दशक बाद हमारे देश की बढ़ती आबादी स्थिर हो जाएगी और फिर घटने लगेगी। जैसा चीन, जापान जैसे कई देशों में हुआ। दक्षिण भारत के दो प्रमुख राज्यों में आबादी बढ़ाने के पीछे निकट भविष्य में लोकसभा और विधानसभा सीटों को लेकर होने वाला परिसीमन एक प्रमुख कारण है। राजनीतिक हलकों में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2026 के बाद यदि परिसीमन हुआ तो सांसदों की संख्या नौ सौ के आसपास पहुंच जाएगी। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक रूप से जनसंख्या के अनुरूप उत्तर भारत के राज्यों की सीटें बढ़ेंगी और दक्षिणी राज्यों की सीटों पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। बढ़ने वाली सीटों का साठ से सत्तर फीसदी फायदा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों को मिलेगा। इन राज्यों में सबसे ज्यादा सीटें बढ़ेंगी। यही वजह है कि दक्षिण के राज्य अपने यहां लोकसभा और विधानसभा की सीटों को बढ़ाने के लिए आबादी बढ़ाना चाहते हैं। सन 1973 के बाद से अब तक देश में परिसीमन नहीं हुआ है। अभी यह तय नहीं है कि परिसीमन कब होगा? जब तक देश में जनगणना नहीं हो जाती है, तब तक परिसीमन हो भी नहीं सकता है। सन 2011 में जनगणना हुई थी, लेकिन सन 2021 में कोरोना महामारी के चलते जनगणना न कराने का फैसला लिया गया था। तब से अब तक जनगणना नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में यदि अगले साल तक जनगणना हो भी जाती है, तो कम से कम दो-तीन साल परिसीमन में लगने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि सन 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में परिसीमन एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनकर उभरने वाला है। थोड़ी देर के लिए यदि मान भी लिया जाए कि साल 2028-29 में परिसीमन हो भी गया, तो भी यह मामला सुलझने वाला नहीं है। लोकसभा सीटों की संख्या बहुत कम बढ़ने पर दक्षिण भारत के राज्य इस आसानी से मान लेंगे, ऐसा नहीं लगता है। जब एनडीए में रहने के बावजूद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू जनसंख्या को बढ़ाने की बात कह रहे हैं, ऐसी स्थिति में कम हिस्सेदारी मिलने पर दक्षिण भारत से कोई जन आंदोलन नहीं खड़ा हो जाएगा, इसकी आशंका कम ही दिखाई दे रही है। इस मुद्दे पर दक्षिण भारत में सक्रिय राजनीतिक पार्टियां विवाद खड़ा कर सकती हैं। काश! कि ऐसा न हो, लेकिन इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Congress Rahul:राहुल गांधी ने भाजपा पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप लगाया

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (Congress Rahul:)राहुल गांधी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की परीक्षा से जुड़े विवाद का जिक्र करते...

विवाह संस्था को कमजोर करते हैं विवाहित के लिव इन रिलेशन

संजय मग्गूनए साल के पहले दिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पहले से ही शादीशुदा व्यक्ति को लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर सुरक्षा देने से इनकार...

अब शायद ही कोई कहता हो, आंखों आंखों में बात होने दो

संजय मग्गू                                                                                                       किसी से आंखें मिलाकर आंखों से बात करना एक कला है। लगता है कि यह कला धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगी। कविवर बिहारी...

Recent Comments