Friday, November 22, 2024
22.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiसबके सहयोग से ही सुधरेगा हरियाणा में लिंगानुपात

सबके सहयोग से ही सुधरेगा हरियाणा में लिंगानुपात

Google News
Google News

- Advertisement -

संजय मग्गू
हरियाणा काफी उर्वर प्रदेश हैं। यहां की भूमि बड़ी उपजाऊ है। धान्य से भरपूर हरियाणा में अगर कम हो रही हैं, तो बेटियां। लिंगानुपात के मामले में हरियाणा काफी पिछड़ रहा है। लड़कियों की जन्म दर के मामले में प्रदेश काफी पीछे जा रहा है। हालांकि, यह भी सही है कि राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले लगभग सभी खेलों में प्रदेश की लड़कियों ने अपना, अपने गांव और प्रदेश का नाम रोशन किया है। अभी कुछ महीने पहले संपन्न हुए पेरिस ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाली हरियाणा की ही छोरियां थीं। कुछ महीने पहले संपन्न हुए पैरालिंपिक में भी हरियाणा के खिलाड़ियों ने कम कमाल नहीं दिखाया था। खासतौर पर लड़कियों ने। जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, हरियाणा की लड़कियां अपनी सफलता के परचम लहरा रही हैं। वह अपने साहस, खेल और कार्यकुशलता से यह साबित भी कर रही हैं कि वे छोरों से किसी मायने में कम नहीं हैं। जब प्रदेश की लड़कियां कोई सफलता हासिल करती हैं, तो लोग वाह-वाह करते हुए यह जरूर कह देते हैं कि हमारे प्रदेश की छोरियां छोरों से कम नहीं हैं, लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं दिखाई देता है। इस बात को साबित करता है प्रदेश में लड़कों के मुकाबले लगातार घटती लड़कियों की संख्या। इस साल भी प्रदेश का लिंगानुपात सितंबर तक 905 ही रहा है, जबकि पिछले साल 2023 में यह संख्या 916 थी। यह संख्या किसी भी रूप में संतोषजनक नहीं थी। राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा काफी निचले पायदान पर खड़ा हुआ है। लोगों को लड़कियों को जन्म देने और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए प्रोत्साहन देने के तौर पर ही 22 जनवरी 2015 में पानीपत से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई। इस मुहिम की शुरुआत करते समय पीएम नरेंद्र मोदी ने सोचा था कि इस मुहिम का प्रदेश में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन शुरुआती साल में अच्छा प्रभाव दिखने के बाद सब कुछ पहले जैसा होता गया। कुछ दिनों पहले जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तक यमुनानगर में सबसे बेहतर लिंगानुपात 947 दर्ज किया गया था और इस मामले में प्रदेश में गुरुग्राम अंतिम पायदान पर खड़ा दिखाई दिया। गुरुग्राम का आंकड़ा 852 रहा जो प्रदेश में सबसे कम है। प्रदेश के 22 जिलों में से 14 जिलों में यह आंकड़ा नौ सौ से ज्यादा रहा। बाकी आठ जिलों में लिंगानुपात नौ से कम रहा जो चिंताजनक है। हरियाणा पहले से ही कुड़ीमार प्रदेश के रूप में कुख्यात रहा है। इस कलंक को मिटाने के लिए लोगों को आगे आना होगा और कन्या भ्रूण को हर हालत में रोकना होगा। जब तक कन्या भ्रूण हत्या नहीं रुकेगी, प्रदेश के लिंगानुपात में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं होगी। शासन और प्रशासन को भी सख्ती से कन्या भ्रूण हत्या पर नजर रखनी होगी।

संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

सोशल मीडिया पर साझा न करें व्यक्तिगत जानकारी 

 देश रोजाना, हथीन। इस तकनीकी दौर में मनुष्य ज्यादातर मोबाइल फोन, लैपटॉप व कंप्यूटर आदि पर निर्भर है और यह डिवाइस इंटरनेट से जुड़ी...

जानवरों की दुनिया में प्रेग्नेंसी की अनोखी कहानी

प्रेग्नेंसी एक ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन को जन्म देती है। इंसानों में प्रेग्नेंसी की अवधि लगभग 9 महीने होती है, लेकिन जानवरों की...

share adani:अदाणी समूह के ज्यादातर शेयरों में दूसरे दिन भी गिरावट

अदाणी समूह (share adani:)की 10 सूचीबद्ध कंपनियों में से आठ के शेयरों में शुक्रवार को सुबह के कारोबार के दौरान गिरावट देखने को मिली।...

Recent Comments