सुकरात बोले, हां, मैं लालची हूं, क्रोधी हूं
अशोक मिश्र
सुकरात का जन्म एथेंस राज्य में 470 ईसा पूर्व हुआ बताया जाता है। कहते हैं कि सुकरात देखने में बहुत कुरुप थे, वहीं उनकी पत्नी सुंदर किंतु कर्कशा थी। वह सुकरात पर अक्सर नाराज रहा करती थी। लेकिन अपने शिष्यों और समर्थकों में सुकरात बहुत लोकप्रिय थे। सुकरात अपने समय के सबसे महान दार्शनिक थे। यही वजह थी कि वह लोकप्रिय भी बहुत थे। हालांकि यह भी कहा जाता है कि सुकरात ने दो शादियां की थीं। अब कौन सी पत्नी झगड़ालु थी, यह कह पाना मुश्किल है। महात्मा बुद्ध की तरह सुकरात ने अपनी कोई पुस्तक नहीं लिखी। सुकरात के विचारों को बाद में उनके शिष्यों ने अपनी पुस्तकों में संग्रहीत किया। एक बार की बात है। वह अपने शिष्यों के साथ बैठे दर्शन पर बातचीत कर रहे थे, तभी एक ज्योतिषी आया। उसने आते ही कहा कि वह किसी का भी चेहरा देखकर उसके बारे में सच बता सकता हूं। शिष्यों ने अपने गुरु सुकरात की ओर देखा, तो उस ज्योतिषी ने कहा कि मैं तुम्हारा भविष्य बता सकता हूं। इतना कहकर ज्योतिषी ने सुकरात के बारे में कहा कि तुम्हारा कुरूप चेहरा बताता है कि तुम सत्ता के विरोधी हो। तुम साजिश रचने में माहिर हो। तुम्हारा माथा बताता है कि तुम लालची हो, क्रोधी हो। यह सुनकर वहां मौजूद शिष्य अत्यंत क्रोध में आ गए, लेकिन सुकरात ने उन्हें शांत रहने का इशारा किया। इसके बाद सुकरात ने उस ज्योतिषी को अच्छा खासा धन देकर विदा कर दिया। ज्योतिषी पर नाराज शिष्यों ने कहा कि उसने आपके बारे में गलत कहा। सुकरात बोले कि उसने सब कुछ सही कहा। मैं लालची हूं, क्रोधी हूं, सत्ता के विरोध में हूं, लेकिन एक चीज वह नहीं देख पाया कि मैं अपने बुद्धि बल से इन कमियों को दबा देता हूं।
अशोक मिश्र