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धनतेरस पर धन के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी रखें खयाल

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संजय मग्गू
कल यानी मंगलवार को धनतेरस है। धनतेरस यानी धन के देवता कुबेर की पूजा का दिन। कुबेर को देवताओं ने धन का रक्षपाल यानी रखवाला बनाया था। इस दिन लक्ष्मी-गणेश के साथ-साथ कुबेर की पूजा की जाती है। धनतेरस से पांच त्योहारों की शुरुआत होती है। धनतेरस के बाद छोटी दीवाली, बड़ी दीवाली, गोवर्धन पूजा और यम द्वितीया जैसे पर्व मनाए जाते हैं। हमारे देश में जितने भी तीज-त्यौहार हैं, वस्तुत: खेती-किसानी से ही जुड़े हुए हैं। पुराने समय में इन दिनों खरीफ की फसल कट चुकी होती थी। किसान अपनी मेहनत का प्रतिफल फसल के रूप में पा चुका होता था। वह अपनी जरूरत भर का घर में रखकर बाकी बची फसल को वह आसपास के हाट-बाजार में या सेठ-साहूकार को बेचकर नकदी में बदल लेता था। पैसा हाथ आते ही वह अपनी जरूरत की वस्तुओं की खरीदारी करता था। उसका मन प्रसन्न होता था, तो खुशियां मनानी ही थीं। शुरुआती दौर में यह भले ही व्यक्तिगत रहा होगा, लेकिन कालांतर में समाज के लोगों ने एक ही दिन खुशियां मानने के बारे में सोचा होगा। बाद में जैसे-जैसे समाज विकसित होता गया, इसमें ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ और प्रसंग जुड़ते गए। इन सबके पीछे समाज को एक नई दिशा देना रहा हो सकता है। तीज-त्यौहार जब सामूहिक रूप से या एक ही दिन मनाए जाते हैं, तो समाज में एकता की भावना पैदा होती है। लोग एक दूसरे से जुड़ते हैं। उनमें प्रेम और सद्भाव की भावना का विकास होता है। धनतेरस उसी तरह के प्राचीन त्यौहारों की एक कड़ी है। इस दिन लोग अपनी जरूरत के बर्तन, गहने, कपड़े-लत्ते आदि खरीदते हैं। चूंकि आज समय बदल चुका है। लोगों की मान्यताएं और जरूरतें बदल चुकी हैं। उसके बावजूद तीज-त्यौहार मनाने की मूल भावना है, उसका विलोप नहीं हुआ है। धनतेरस जहां कुबेर से जुड़ा बताया जाता है, वहीं कुछ विद्वान इसे स्वास्थ्य के देवता और प्राचीनकाल के वैद्य धनवंतरि से भी जोड़ते हैं। धनतेरस को लेकर कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि धनतेरस के दिन हमें जहां अपनी घर-गृहस्थी के सामान खरीदने और धन का बड़ी समझदारी से व्यय करना है, वहीं अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है। हमारा स्वास्थ्य भी एक तरह का धन है। यदि हम स्वस्थ रहे, तो हमें वैद्य या डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा और इस तरह हमारा धन भी बचेगा। धनतेरस का पर्व है, तो इसका भरपूर स्वागत करें। अपनी जरूरतों की चीजों को खरीदें, लेकिन ध्यान रहे, हमें हर हाल में दिखावे से बचना है। हमें समाज में फैली तमाम बुराइयों से भी दूर रहना है। नशा, जुआ जैसी आदतों को तिलांजलि देकर यदि हम धनतेरस, दीपावली, भैया दूज जैसे तमाम त्यौहार मनाते हैं, तो हमें वास्तविक खुशी जरूर मिलेगी।

संजय मग्गू

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