राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने (NGT RIVER: ) उत्तर प्रदेश के अधिकारियों द्वारा एक नदी के डूब क्षेत्र के सीमांकन के लिए मांगी गई सात महीने की मोहलत को “अनुचित” करार दिया है और इसे “सुस्त रवैये” का प्रमाण बताया है। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राज्य में गंगा की सहायक नदी “टेढ़ी नदी” के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन 15 जनवरी, 2025 तक पूरा करें।
अधिकरण ने कहा, “हमारे(NGT RIVER: ) विचार में, सात महीने की मोहलत का अनुरोध अनुचित है और यह अधिकारियों के सुस्त रवैये को दर्शाता है। जब बुनियादी आंकड़े पहले से एकत्र किए जा चुके हैं, तो शेष कार्य संबंधित अधिकारियों द्वारा मांगे गए समय के आधे से भी कम समय में पूरा किया जा सकता है।”यह मामला नदी के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण से संबंधित था, जिसके लिए पहले इसके निर्धारण या सीमांकन की आवश्यकता थी। लगभग 230 किलोमीटर लंबी “टेढ़ी नदी” बहराइच जिले में चितौरा झील से निकलती है और गोंडा जिले से गुजरते हुए बस्ती जिले के लोलपुर गांव के पास घाघरा नदी में मिल जाती है।
अधिकरण ने 18 (NGT RIVER: ) अक्टूबर को पारित अपने आदेश में कहा, “घाघरा नदी अंततः गंगा नदी में मिल जाती है और इसलिए टेढ़ी नदी सभी उद्देश्यों के लिए गंगा नदी की सहायक नदी है, जिसके कारण गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण के 2016 के आदेश के प्रावधान उस पर लागू होते हैं।”एनजीटी ने गोंडा के जिलाधिकारी को 15 जनवरी, 2025 तक नदी के डूब क्षेत्र का सीमांकन और पहचान करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।