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up hospital fire:मृतक शिशुओं के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता

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उत्तर प्रदेश (up hospital fire:)के झांसी जिले में आग लगने से कम से कम 10 नवजात शिशुओं की मौत के कुछ घंटों बाद, राज्य सरकार ने शनिवार को मृतकों के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और त्रिस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र(up hospital fire:) मोदी ने भी बच्चों की मौतों पर शोक व्यक्त किया और प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की। बयान में कहा गया है, “घटना में असामयिक मृत्यु का शिकार हुए नवजात शिशुओं के माता-पिता को मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है।”

इस बीच, प्रयागराज के फूलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी आग से दर्दनाक त्रासदी हुई और 10 नवजातों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि अन्य बच्चों को बचाया जाए, हम राहत और बचाव प्रयासों का समन्वय करते हुए पूरी रात जागते रहे और इसीलिए यहां पहुंचने में देरी हुई। पुलिस और प्रशासन लगातार काम कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश (up hospital fire:)सरकार द्वारा एक बयान में कहा गया कि शुक्रवार देर रात घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को मौके पर भेजा। इसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री रात भर घटनास्थल से हर पल की जानकारी लेते रहे। मुख्यमंत्री ने झांसी के संभागीय आयुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) को घटना के संबंध में 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

झांसी जिले के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात आग लगने से 10 शिशुओं की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि इस हादसे में घायल हुए 16 अन्य बच्चे जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अविनाश कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे आग लगी, जो संभवतः शॉर्ट सर्किट के कारण हुई थी।

झांसी में कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार को सात बच्चों का पोस्टमार्टम हुआ। तीन बच्चों के माता-पिता की पहचान न होने पर उनका पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। नगर पुलिस अधीक्षक (एसपी सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार रात मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में अचानक लगी आग की वजह से दम घुटने और झुलसने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि मृत बच्चों में से सात के माता-पिता की पहचान हो जाने पर शनिवार को उनके शवों का पोस्टमॉर्टम करवाया गया है। तीन बच्चों के माता-पिता की अभी तक पहचान नहीं हो पाई, इसलिए उनके शव रखे हुए हैं। पहचान होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा, “घटना में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई है। झांसी मेडिकल कॉलेज के अन्य वार्ड में 16 बच्चों का इलाज जारी है। यह घटना बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुई और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने बताया कि त्रिस्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। प्रथम दृष्टया आयुक्त झांसी एवं उप महानिरीक्षक झांसी द्वारा 24 घंटे में जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। अग्निशमन विभाग द्वारा भी जांच की जाएगी। साथ ही घटना की मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश भी दिए गए हैं।

पाठक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है। घटना के कारणों की पड़ताल की जा रही है। यदि किसी स्तर पर लापरवाही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई करेंगे। झांसी में पाठक ने संवाददाताओं से कहा, “हम बच्चों के साथ उनके परिजनों की भी पहचान कर रहे हैं। मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटना कैसे हुई, इसके क्या कारण थे और किसकी ओर से लापरवाही हुई, इसका पता लगाया जाएगा। सबसे पहली चुनौती घायल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण उपचार देना है।”

पाठक ने उन आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की, जिसमें कहा गया था कि झांसी मेडिकल कॉलेज में कुछ अग्निशामक यंत्रों की समय-सीमा समाप्त हो गई थी। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में सभी फायर फाइटिंग इक्विपमेंट (अग्निशमन उपकरण) सही स्थिति में हैं।

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने कहा, “एनआईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण दुखद घटना हुई। यहां एनआईसीयू वार्ड में 25 बच्चों का उपचार किया जा रहा है, 16 बच्चे मेडिकल कॉलेज में उपचार करा रहे हैं, जो किसी तरह से झुलसने या दम घुटने से पीड़ित नहीं हैं, बल्कि उन्हें जो बीमारियां हैं, उनका उपचार हो रहा है। एक बच्चे का जिला अस्पताल में उपचार हो रहा है, सात बच्चों का अन्य अस्पतालों में उपचार हो रहा है। एक बच्चे को छुट्टी दे दी गई है।”

उन्होंने कहा कि अस्पताल (up hospital fire:)में उपचार करा रहे बच्चों को झुलसने या दम घुटने से कोई परेशानी नहीं है, उन्हें समुचित उपचार दिया जा रहा है। झांसी के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने कहा, “मेडिकल कॉलेज में कुल 146 अग्निशमन यंत्र लगे हैं। हादसे के समय एनआईसीयू वार्ड के अग्निशमन यंत्र का भी इस्तेमाल किया गया था। इन सभी उपकरणों का समय-समय पर ऑडिट भी किया जाता है। इस दौरान कमियों को दूर किया जाता है।” उन्होंने कहा, “फरवरी में इन सभी का ऑडिट किया गया था, जबकि जून में मॉक ड्रिल की गई थी। मेडिकल कॉलेज में अग्निशमन यंत्र खराब होने का दावा पूरी तरह निराधार है। शॉर्ट सर्किट के कारण वार्ड में आग लगी थी। हादसे की जांच की जा रही है।”

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुधा सिंह ने शनिवार सुबह बताया कि 16 घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है और उनकी जान बचाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए सभी चिकित्सक उपलब्ध हैं और पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं भी हैं। सिंह ने कहा कि इस हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई और अन्य को या तो बचा लिया गया या वे घायल हैं।

मेडिकल कॉलेज ने बताया है कि घटना के समय 52 से 54 बच्चे भर्ती थे। उनमें से 10 की मौत हो गई, 16 का इलाज जारी है जबकि अन्य के लिए सत्यापन जारी है। देर रात करीब एक बजे एनआईसीयू में बचाव अभियान पूरा हो गया।

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