Thursday, November 21, 2024
18.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiरानी लक्ष्मीबाई का जन्म

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म

Google News
Google News

- Advertisement -
Maharani Laxmi Bai Balidan Diwas, Know Her Life Summary - Amar Ujala Hindi  News Live - रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस:10 बिंदुओं में जानिए महारानी के  जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

रानी लक्ष्मीबाई का नाम भारतीय इतिहास में एक अमिट धरोहर के रूप में अंकित है। वह एक ऐसी साहसी और वीर महिला थीं जिन्होंने न केवल अपने राज्य की रक्षा की, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके संघर्ष, साहस और नेतृत्व ने उन्हें भारतीयों के दिलों में एक अद्वितीय स्थान दिलवाया।

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1828 को वाराणसी (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनका असली नाम मणिकर्णिका था, लेकिन उन्हें प्यार से “मनु” के नाम से भी पुकारा जाता था। उनका बचपन अत्यंत साहसी था, और वह जल्दी ही घुड़सवारी, शस्त्र विद्या और युद्धकला में निपुण हो गईं।

1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी के राजा गंगाधर राव से विवाह किया और रानी बनीं। इसके बाद, झांसी की प्रजा ने उनकी नेतृत्व क्षमता को महसूस किया। जब 1854 में राजा गंगाधर राव का निधन हुआ, तो रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी की गद्दी पर बैठने के बाद राज्य की जिम्मेदारियां बखूबी संभाली।

1857 में अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों का विद्रोह शुरू हुआ। रानी लक्ष्मीबाई ने इस स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी सेना का नेतृत्व किया और झांसी के किले की रक्षा में भरपूर साहस और वीरता का प्रदर्शन किया। उनका यह संघर्ष न केवल झांसी बल्कि पूरे भारत में एक प्रतीक बन गया।

अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा करने के लिए कई बार किले की घेराबंदी की, लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने अपने अद्वितीय नेतृत्व और युद्ध कौशल से उनकी सारी योजनाओं को नाकाम कर दिया। उन्होंने युद्ध में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा और झांसी की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार की बलि देने से पीछे नहीं हटीं।

1858 में, रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर की लड़ाई के बाद अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए अपनी जान की आहुति दी। उनके बलिदान ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नायक बना दिया। आज भी, उनका नाम हर भारतीय के दिल में अमर है और वह महिला शक्ति का प्रतीक बन चुकी हैं।

रानी लक्ष्मीबाई न केवल अपने समय की वीर और साहसी महिला थीं, बल्कि उनके संघर्ष ने भारतीय महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का काम किया। उनकी वीरता और स्वतंत्रता के प्रति निष्ठा आज भी हमें अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। उनके योगदान को सदा याद किया जाएगा।

रानी लक्ष्मीबाई ने जो साहस और बलिदान दिखाया, वह भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा जीवित रहेगा। उनके संघर्ष को हर भारतीय गर्व से याद करता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए वह हमेशा एक प्रेरणा स्रोत रहेंगी।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

DELHI POLLUTION:दिल्ली में न्यूनतम तापमान 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज,वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार

दिल्ली(DELHI POLLUTION:) में एक सप्ताह तक प्रदूषण के गंभीर स्तर से बेहाल रहने के बाद, राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ,...

America Bishnoi:लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल अमेरिका में गिरफ्तार, आयोवा जेल में बंद

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता (America Bishnoi:)बाबा सिद्दीकी की हत्या और अभिनेता सलमान खान के मुंबई स्थित घर के बाहर गोलीबारी के मामले...

नेहा शर्मा का 37वां जन्मदिन: एक्ट्रेस ने एक्टिंग से लेकर फैशन इंडस्ट्री तक बनाई अलग पहचान

बॉलीवुड की दिलकश और टैलेंटेड एक्ट्रेस नेहा शर्मा आज 21 नवंबर को अपना 37वां जन्मदिन मना रही हैं। बिहार के भागलपुर से मुंबई तक...

Recent Comments