प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रियो डी जेनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान सतत विकास और ऊर्जा परिवर्तन पर आयोजित सत्र में वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए अधिक टिकाऊ और स्वच्छ भविष्य के लिए संयुक्त प्रयासों की अपील की। उन्होंने कहा कि यह समय है जब सभी देश, विशेषकर विकसित राष्ट्र, अपने वादों को पूरा करते हुए विकासशील देशों को समय पर प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहायता प्रदान करें।
मोदी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि भारत ने पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को समय से पहले पूरा किया है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रयास पारंपरिक भारतीय दर्शन पर आधारित हैं, जो प्रगतिशील और संतुलित दोनों हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपने सफल अनुभवों को ‘ग्लोबल साउथ’ सहित सभी मित्र देशों के साथ साझा कर रहा है ताकि वे भी इस दिशा में अपने कदम बढ़ा सकें।
प्रधानमंत्री ने भारत द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहल, जैसे ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’, ‘वन वर्ल्ड-वन सन-वन ग्रिड’, और ‘ग्लोबल बायो-फ्यूल गठबंधन’ का उल्लेख करते हुए इन्हें स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि ये प्रयास वैश्विक ऊर्जा प्रणाली को बदलने और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए अहम हैं।
जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर चर्चा करते हुए मोदी ने वाराणसी कार्य योजना का उल्लेख किया, जिसे नई दिल्ली जी20 शिखर सम्मेलन में अपनाया गया था। उन्होंने कहा कि इस कार्य योजना का उद्देश्य एसडीजी को तेजी से हासिल करना है, और ब्राजील की अध्यक्षता में इसे प्राथमिकता दिए जाने का भारत स्वागत करता है।
‘मिशन लाइफ’ के माध्यम से भारत ने वैश्विक स्तर पर टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। यह पहल जलवायु परिवर्तन से निपटने और संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोदी ने जोर देकर कहा कि सतत विकास तभी संभव है जब सभी देश सामूहिक रूप से मिलकर काम करें और वैश्विक चुनौतियों का समाधान ढूंढें।
प्रधानमंत्री के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा, और सतत विकास जैसी चुनौतियों का समाधान तभी संभव है जब विकसित देश विकासशील देशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने के अपने वादों को समय पर पूरा करें। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि वैश्विक स्तर पर इन मुद्दों को प्राथमिकता दी जाए ताकि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर और स्वच्छ भविष्य दिया जा सके।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रधानमंत्री के संबोधन का सार सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उनकी मुख्य बातों पर प्रकाश डाला। मोदी ने यह भी कहा कि भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है और यह उम्मीद करता है कि अन्य देश भी जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राथमिकता देंगे।
भारत का यह दृष्टिकोण सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को संतुलित करते हुए वैश्विक समुदाय को साथ लेकर चलने का है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि केवल सहयोग और समन्वय के माध्यम से ही स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।