अशोक मिश्र
रबींद्र नाथ टैगोर भारतीय साहित्य और समाज का सबसे चमकता सितारा माना जाता है। वह विख्यात कवि, चित्रकार, स्वाधीनता संग्राम सेनानी और साहित्य का नोबेल पुरस्कार करने वाले व्यक्ति के रूप में आज भी आदरणीय माने जाते हैं। रबींद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाकों ठाकुरबाड़ी में हुआ था। टैगोर ने जीवनी, इतिहास, खगोल विज्ञान, आधुनिक विज्ञान और संस्कृत का अध्ययन किया था और कालिदास की शास्त्रीय कविताओं के बारे में भी पढ़ाई की थी। कालिदास का उन पर विशेष प्रभाव पड़ा था। घुमक्कड़ी उनकी प्रवृत्ति में थी। ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों को देखते हुए उन्होंने गीतांजलि के लिए मिला नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था। एक बार की बात है। किसी डाकू से टैगोर के किसी दुश्मन ने उनको मारने के लिए कहा। डाकू तैयार भी हो गया। एक दिन वह दबे पांव शांति निकेतन के उस कक्ष में जा पहुंचा, जहां रबींद्र नाथ टैगोर तन्मय होकर कविता लिख रहे थे। उनकी तन्मयता को देखकर डाकू थोड़ी देर वहीं चुपचाप खड़ा रहा। उसने जब देखा कि कविता लिखने में मगन टैगोर का ध्यान उनकी ओर नहीं गया है, तो वह अपनी कर्कश आवाज में बोला, मैं तुम्हारी हत्या करने आया हूं। तब टैगोर ने कहा कि बस थोड़ी देर रुक जाओ। एक बहुत ही सुंदर भाव मन में उत्पन्न हुआ है। इस पर कविता लिख लेने दो, फिर तुम मुझे मार देना। इसके बाद कविता लिखने लगे। काफी देर बाद जब कविता पूरी हुई, तो वह डाकू से बोले, माफ करना तुम्हें देर हो गई। कविता लिखते समय मैं तुम्हें तो भूल ही गया था। उनकी तन्मयता और निर्मलता देखकर डाकू का मन पसीज गया। उसके हाथ से चाकू छूट गया और उसने टैगोर के कदमों में गिरकर क्षमा मांगी।
बोधिवृक्ष डाकू ने रबींद्र नाथ टैगोर से मांगी क्षमा
- Advertisement -
- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News