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बोधिवृक्ष गुलामों के लिए जेल गए फ्योदोर दोस्तोयेवस्की

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अशोक मिश्र
फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की रूस के एक ऐसा साहित्यकार थे जिन्हें अपने जीवन काल में कोई महत्व नहीं मिला,लेकिन मौत के बाद उन्हें रूस का महान और रूसी यर्थाथवाद का प्रवर्तक माना गया। फ्योदोर का जन्म 11 नवंबर 1821 में मास्को में हुआ था। वह अमीर घर में पैदा हुए थे और अच्छी शिक्षा हासिल की थी। ‘अपराध और दंड’, ‘बौड़म’, ‘नर-पिशाच’, ‘करमअजोफ बन्धु’, ‘गरीब लोग’ और ‘जुआरी’ जैसे विख्यात उपन्यासों के रचनाकार फ्योदोर को बीस लोगों के साथ राज्य सत्ता के खिलाफ विद्रोह करने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें मृत्यु दंड दिया गया, लेकिन बाद में उसे चार साल के सश्रम कारावास में तब्दील कर दिया गया। उनका बचपन का नाम फेड्या था। एक बार वह अपने दोस्तों के साथ सीक एंड हाइड (छुपम छुपाई) खेल रहे थे। वह एक पेड़ के पीछे छिपे हुए थे, तो उन्हें लगा कि उनके पीछे भेड़िया खड़ा है। वह ‘भेड़िया-भेड़िया’ चिल्लाते हुए भागे। उन्होंने लोगों से मदद की गुहार लगाई। वहां काम कर रहे एक व्यक्ति ने तत्काल उन्हें गोद में उठा लिया और कहा, फेड्या बेटा, देखो यहां कोई नहीं है। लगता है कि किसी ने तुम से मजाक किया है। फेड्या ने देखा कि उसे गोद में लेकर पुचकारने वाला उनके पिता का एक गुलाम है। उनके पिता मिखाइल दोस्तोयेव्स्की अपने गुलामों से बहुत क्रूर व्यवहार करते थे। छोटी-मोटी गलती पर भी वह कोड़े मारते थे। उनकी मां दयालु महिला थीं, वह गुलामों को बचाने के लिए अपने पति से विनती करती रहती थीं। पहली बार फेड्या को गुलामों की दशा का अंदाजा हुआ। बाद में अपने लेख, उपन्यास और निबंध में गुलामों के पक्ष में आवाज उठाई। नतीजा यह हुआ कि उन्हें रूसी सम्राट ने जेल में डाल दिया।

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