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UGC draft: कांग्रेस ने यूजीसी के मसौदे को संस्थानों की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया, वापस लेने की मांग

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कांग्रेस पार्टी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी किए गए मसौदे को लेकर सरकार पर हमला किया है। यह मसौदा उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायक प्रोफेसर और कुलपतियों की भर्ती में बड़े बदलावों का प्रस्ताव करता है। कांग्रेस का कहना है कि यह बदलाव संस्थानों की स्वतंत्रता को समाप्त करने वाला कदम है, और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि इस मसौदे का उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करना है। उन्होंने कहा कि यूजीसी द्वारा जारी किए गए मसौदे में कई ऐसे नियम शामिल हैं जो शिक्षा जगत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘‘यूजीसी ने हाल ही में यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय) नियमन, 2025 का मसौदा जारी किया है। इसमें कई खतरनाक उद्देश्य के साथ नियम लाए गए हैं।’’

कांग्रेस का कहना है कि इस मसौदे में एक प्रमुख बदलाव यह है कि अनुबंध आधारित प्रोफेसर के पदों की सीमा को 10 प्रतिशत से हटा दिया गया है। इससे शिक्षा में संविदा आधारित नियुक्तियों को बढ़ावा मिलेगा, जो संस्थानों की गुणवत्ता और स्वतंत्रता के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा, राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकारों की शक्तियों को खत्म कर दिया गया है। कांग्रेस का आरोप है कि यह कदम राज्य सरकारों को कमजोर करने और केंद्रीय नियंत्रण बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

कांग्रेस ने इस मसौदे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। पार्टी ने कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर द्वारा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे गए पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें इस मसौदे को लेकर चिंता जताई गई थी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर जवाबी हमला किया और कहा कि कांग्रेस झूठ फैला रही है। उन्होंने कहा कि राज्यपालों द्वारा कुलपतियों की नियुक्ति की परंपरा आजादी से पहले से चल रही है और इसमें कोई नया बदलाव नहीं किया गया है।

कुल मिलाकर, कांग्रेस इस मसौदे को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है और इसे शिक्षा क्षेत्र की स्वतंत्रता के खिलाफ मान रही है।

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