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जीवन में विफलता से ही निकलता है सफलता का रास्ता

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संजय मग्गू
सफलता और विफलता जीवन के लिए दोनों जरूरी हैं। मानव समाज में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो यह दावा कर सके कि वह जीवन में कभी विफल नहीं हुआ है। विफलता का स्वाद जीवन में कभी न कभी हर मनुष्य ने चखा होता है। दुनिया के जितने भी महापुरुष, आविष्कारक और समाज में अपनी पहचान बनाने वाले लोग हैं, उनकी जीवनी का यदि अध्ययन किया जाए, तो एक बात जरूर उभर कर सामने आएगी कि वे अपने जीवन में जब विफल हुए, उनके सामने कोई रास्ता नहीं था, तब उन्होंने बड़े धैर्य से अपनी विफलता का आकलन किया, क्यों विफल हुए, इसकी खोज की और फिर जुट गए अपने काम को अंजाम देने में। अंतत: उन्होंने सफलता हासिल करके ही दम लिया। यदि हम गंभीरता से विचार करें, तो विफलता कोई बुरी बात नहीं है। कई बार तो विफल के जरिये ही सफलता का रास्ता निकलता है। यदि कोई बच्चा या युवा किसी काम में विफल हो गया है, खूब मेहनत से पढ़ाई करने के बावजूद परीक्षा में फेल हो गया है, तो उस पर झल्लाना, गुस्सा करना या ताने देना उचित नहीं है। इससे वह और हतोत्साहित हो जाएगा। वह अपनी विफलता के चलते हताश हो जाएगा। यदि ऐसा हो, तो पहले उसे समझाएं। फिर उसे प्रेरित करें कि वह उन कारणों की पड़ताल करे जिसकी वजह से उसे सफलता नहीं मिली। आत्म विश्लेषण करे कि उससे कहां चूक हुई है। वह उन कमियों को दूर करने का प्रयास करे। एक बार फिर वह पूरे जी जान से प्रयास करे, तो उसे सफलता जरूर मिलेगी। बल्ब का आविष्कार करने वाले थामस अल्वा एडिसन एक हजार बार प्रयोग करने के बाद ही वह बल्ब का आविष्कार कर सके थे। यदि एडिसन पहली, दूसरी या सात सौंवी विफलता पर चुप होकर बैठ जाते तो क्या विद्युत बल्ब का आविष्कार करने में सफल हो पाते? कतई नहीं। इस मामले में उनका कहना था कि मैं हजार बार फेल नहीं हुआ हूं बल्कि मैंने सफलतापूर्वक हजार ऐसे तरीके खोज लिए हैं जो काम नहीं करेंगे। सफलता हासिल करने के लिए सबसे बहुत जरूरी है कि हम अभ्यास करना न छोड़े। यदि लगन और प्रतिभा हो, तो कितनी भी विषम परिस्थितियां हों, प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए। यदि प्रयास करना ही छोड़ दिया, तो फिर मान लीजिए कि हमने अपनी सफलता का मार्ग ही बंद कर दिया। यदि कोई विफल हो गया है, तो उसे उसमें वैराग्य भावना जागृत होती है। यदि हम इस वैराग्य भावना को सकारात्मकता में बदल दें,सफलता में तनिक भी गुंजाइशा गुंजाइश नहीं रहेगी। वैराग्य भाव हमें सिखाता है कि यदि एक बार विफल हो गए हैं तो क्या अगली बार जरूर सफलता मिलेगी। विफलता के चक्कर में अपनी गतिशीलता को कतई कम नहीं करना है। हमें टूटना नहीं, बिखरना नहीं है। एक नए संकल्प और निश्चय के साथ अपने प्राणपण से उस काम को शुरू करना है जिसमें हम कभी विफल रह गए थे।

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